कृषि कानूनों पर किसान संगठनों के साथ विपक्ष ने भी केंद्र सरकार को घेरना जारी रखा है। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियां लगातार कृषि सुधारों के लिए लाए गए इन कानूनों को काला बताकर इन्हें वापस लेने की मांग कर रही हैं। हालांकि, भाजपा इन पर चर्चा कर के इसके कुछ नियम बदलने के लिए तो तैयार है, लेकिन उसने कानूनों को वापस लेने से साफ इनकार कर दिया है। हाल ही में जब एक टीवी डिबेट में कांग्रेस नेता ने इन तीनों कानूनों को काला कहा, तो भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए पंजाब के कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का मुद्दा उठा दिया।
क्या कहा सुधांशु त्रिवेदी ने?: भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “आपको कानूनों से बहुत नाराजगी है। क्या पंजाब में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग ऐक्ट नहीं है। हमारे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में तो कॉन्ट्रैक्ट से बाहर आने पर किसी भी किसान को सजा का प्रावधान तक नहीं है। उसे सिर्फ उतना पैसा देना होगा, जो उसने एडवांस ले रखा होगा। जबकि पंजाब में तो इस पर पांच साल की जेल का प्रावधान है। क्यों नहीं आप अमरिंदर सरकार के खिलाफ आंदोलन करते।”
सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, “जिसमें पांच साल तक जेल का प्रावधान है, वो काला कानून नहीं, लेकिन जिसमें सजा का प्रावधान नहीं, वो काला कानून। ये कौन सी नजर है। क्या काला मोतियाबिंद हो गया है क्या जिसकी वजह से सब कुछ काला नजर आ रहा है।”
पैनलिस्ट बोले- सरकार खुद डेढ़ साल के लिए रोक रही कानून: सुधांशु त्रिवेदी की बात पर भूपेंद्र रावत ने कहा, “आप विषय को भटका रहे हैं। हरियाणा के किसानों को 1 लाख 90 हजार रुपए, पंजाब के किसानों को 2 लाख 19 हजार रुपए और बिहार में 45 हजार रुपए। क्योंकि बिहार में आपके दुशासन ने 2006 से मंडी व्यवस्था खत्म कर दी है। सवाल फसलों में उपज में खेती का मामला है। आप कहते हैं कि क्या-क्या काला है। आपके कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मान चुके हैं कि इस कानून में 18 काले प्रावधान हैं। आपकी सरकार मान चुकी है, अगले डेढ़ साल के लिए इसे बर्फ में लगाने की बात कर चुकी है। क्योंकि कानून काले हैं, इसलिए। भटकाइए मत इसे।”