अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जल्द ही आने वाला है। फैसले की संवेदनशीलता को देखते हुए भाजपा और आरएसएस ने अभी से ही शांति बनाए रखने की कोशिशें शुरु कर दी हैं। दरअसल भाजपा और आरएसएस ने पार्टी के मुस्लिम नेताओं को मुस्लिम समुदाय के अन्य नेताओं जैसे जमीयत उलेमा ए हिंद के मुखिया मौलाना सैयद अरशद मदनी और शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जवाद आदि नेताओं से मिलने की जिम्मेदारी सौंपी है, ताकि सुप्रीम के फैसले को लोग खुले दिन से स्वीकार करें और कानून व्यवस्था के लिए किसी तरह की चुनौती ना पैदा हो सके। बता दें कि मंगलवार को केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आवास पर एक बैठक हुई, जिसमें संघ परिवार के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार, बीते हफ्ते आरएसएस के संयुक्त महासचिव कृष्णा गोपाल, भाजपा के पूर्व संगठन सचिव राम लाल और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक इंद्रेश कुमार ने एक बैठक के दौरान यह योजना बनायी थी। संघ परिवार द्वारा चिन्हित किए गए मुस्लिम नेताओं और बुद्धिजीवियों के साथ भाजपा के मुस्लिम नेताओं की 20 से ज्यादा बैठकें प्रस्तावित की गई हैं। सूत्रों के अनुसार, ‘आज हुई बैठक का एजेंडा मुस्लिम धर्मगुरुओं, बुद्धिजीवियों को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए समर्थन हासिल करना है और लोगों को यह समझाना है कि अयोध्या मसला हिंदू-मुस्लिम मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सही और गलत के बीच की लड़ाई है।’

खबर के अनुसार, अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन सैयद गयरुल हसन रिजवी ने कहा है कि “बतौर समुदाय, मुस्लिमों ने कई बार इस मुद्दे को सुलझाने के मौके गंवाए हैं। यह हिंदू बहुल देश है और राम मंदिर आस्था से जुड़ा मुद्दा है। मुस्लिमों को इसे इसी तरह देखना चाहिए, ना कि मंदिर और मस्जिद के मुद्दे से।” भाजपा की अल्पसंख्यक सेल के हेड अब्दुल रशीद अंसारी ने कहा कि आज की बैठक का मुख्य मुद्दा लोगों को यह बताना है कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेशों पर ध्यान नहीं देना है।

बताया जा रहा है कि मंगलवार को मुख्तार अब्बास नकवी के घर पर हुई बैठक में कई मुस्लिम बुद्धिजीवी, उलेमा, यूनिवर्सिटी प्रोफेसर आदि भी शामिल हुए। आरएसएस से संबंधित इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केन्द्र के चीफ एग्जीक्यूटिव अरुण आनंद का कहना है कि ‘यह देश हित में है कि मुस्लिम समाज के लोग दारा शिकोह और एपीजे अब्दुल कलाम को अपना रोल मॉडल मानें और बाबर, औरंगजेब और गजनी की परंपरा से दूरी बनाएं।’

भाजपा और आरएसएस की कोशिश है कि 10 नवंबर को ईद मिलाद उन नबी के त्योहार से पहले दिल्ली और लखनऊ जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों से बातचीत की जा सके। बता दें कि अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है और 15 नवंबर के आसपास इस पर अंतिम फैसला आने की उम्मीद है।