उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के करीबी समझे जाने वाले कुछ कांग्रेस नेताओं ने आज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस सचिव शबनम पाण्डेय के नेतृत्व में 17 नेताओं ने एक बयान में कहा कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और अपने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। रीता के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके खिलाफ की गयी अपमानजनक टिप्पणियों की निन्दा करते हुए इन नेताओं ने इस्तीफा दिया है। शबनम पाण्डेय ने कहा कि पार्टी की 24 साल सेवा करने वाली रीता बहुगुणा जोशी का अपमान करने की कांग्रेस कार्यकर्ताओं की हरकत की वह निन्दा करती हैं। रीता 20 अक्‍टूबर को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई थीं। बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में रीता ने भाजपा की सदस्‍यता ग्रहण की। इस मौके पर रीता ने कहा था कि उन्‍होंने बहुत सोच-समझकर यह फैसला किया है। रीता के मुताबिक, वह भारतीय सेना की सर्जिकल स्‍ट्राइक पर उठे सवालों और राहुल गांधी के ‘खून की दलाली’ वाले भाषण से बेहद आहत हुईं। उन्‍होंने कहा कि ‘सोनिया गांधी हमारी बात सुन लेती थी, मगर राहुल नहीं सुनते।’ उत्‍तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले रीता का बीजेपी में जाना कांग्रेस के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है।

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रीता बहुगुणा जोशी के पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस भड़क गई थी। अब कुछ और नेताओं के कांग्रेस छोड़ने के बाद और तीखी प्रतिक्रियाएं आ सकती हैं। कांग्रेस नेता व यूपी कांग्रेस के चीफ राज बब्‍बर ने रीता को ‘दगाबाज’ करार दिया था। राज बब्‍बर ने कहा कि ‘ये (रीता) इतिहास की प्रोफेसर थीं। शायद यही कारण है कि अपने परिवार के इतिहास को दोहराने में चूक नहीं रही हैं। इनके परिवार में ये चौथा-पांचवां बदलाव है।”

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वहीं कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी रीता के पार्टी बदलने पर प्रतिक्रिया दी। उन्‍होंने कहा, ”अवसरवादी एक जगह टिकते नहीं। असली बात है कि वो सीट जीत नहीं सकती थीं, मुकाबला मुश्किल था।”