कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिरने के 3 दिन बाद ही भाजपा नेता येदियुरप्पा ने एक बार फिर राज्य की कमान संभाल ली। इससे पहले येदियुरप्पा ने शुक्रवार सुबह ही भाजपा की तरफ से सरकार बनाने का दावा पेश कर सभी को हैरान कर दिया था।

येदियुरप्पा ने राज्यपाल वजूभाई वाला से मिलकर  शुक्रवार शाम को ही खुद को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने को कहा। राज्य में सरकार बनाने की जल्दबाजी से बच रही भाजपा के इस  कदम ने सभी हैरान थे। सूत्रों के अनुसार भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व राज्य में अल्पमत की सरकार बनाने से परहेज ही कर रहा था।

एनडीटीवी की खबर के अनुसार राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने से पहले प्रदेश के भाजपा नेताओं और बागी विधायकों के बीच मुंबई और कर्नाटक में वीडियो कॉल से बातचीत हुई। इसके बाद राज्य के नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और जेपी नड्डा को इस बात का भरोसा दिलाया कि कांग्रेस और जनता दल सेक्यूलर के बागी विधायक विश्वास मत के दौरान येदियुरप्पा सरकार का ही समर्थन करेंगे।

अपने नेताओं के आश्वसान के बाद ही अमित शाह ने राज्य में भाजपा की सरकार बनाए जाने के फैसले को हरी झंडी दिखाई। इसके बाद ही येदियुरप्पा ने राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात की। माना जा रहा है येदियुरप्पा सरकार सोमवार को सदन में विश्वास मत हासिल करेगी।

येदियुरप्पा को सदन में 31 जुलाई से पहले विश्वास मत हासिल करना है। इसके साथ ही 76 वर्षीय येदियुरप्पा ने पार्टी के 75 साल के बैरियर को भी तोड़ने में सफल रहे। माना जाता है कि भाजपा में 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को अलग भूमिका दे दी जाती है।

एक बार भी पूरा नहीं किया है कार्यकालः तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे येदियुरप्पा एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। इस बात तो उन्होंने अपने नाम की स्पेलिंग में भी बदलाव किया है। उनके ट्विटर प्रोफाइल के अनुसार इस बार उन्होंने अपने नाम में ‘d’ के स्थान पर ‘i’ किया है। पिछले साल मई में शपथ लेने के 48 घंटे बाद विश्वास मत से पहले ही उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा था।