मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हार के बाद भाजपा फिलहाल आत्ममंथन के दौर से गुजर रही है। अब ऐसी खबरें निकलकर सामने आ रही हैं कि भाजपा इन राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों को लेकर अहम योजना बना रही है। भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी इन तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए अहम जिम्मेदारी सौंपने पर विचार कर रही है। दरअसल पार्टी इतने बड़े कद के नेताओं को राज्यों में सिर्फ विपक्ष के नेता के तौर पर नहीं खपाना चाहती। इसके उलट भाजपा इन नेताओं को लोकसभा चुनावों में अहम जिम्मेदारी देकर मतदाताओं को लुभाने की योजना बना रही है। भाजपा इन नेताओं के दम पर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर सकती है।

भाजपा के एक नेता के अनुसार, “ये तीनों ही नेता अपने-अपने राज्यों के बाहर भी खासे लोकप्रिय हैं और इनमें इतना दम है कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इनकी स्वीकार्यता हो सकती है। यही वजह है कि पार्टी इन नेताओं के लंबे अनुभव को देखते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में इन्हें अहम जिम्मेदारी देने पर विचार कर रही है।” हालांकि सूत्रों के अनुसार, अभी इन नेताओं को केन्द्र की राजनीति में तुरंत शिफ्ट करने की योजना नहीं है, लेकिन पार्टी इन नेताओं के दम पर लोकसभा चुनावों में ज्यादा से ज्यादा वोट बटोरने की योजना बना रही है। ऐसी चर्चाएं हैं कि शिवराज सिंह चौहान को एमपी में विदिशा से लोकसभा के चुनाव में उतारा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि विदिशा से चुनाव लड़ती रहीं केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल ही में लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। ऐसे में इस सीट से शिवराज सिंह के चुनाव मैदान में उतरने की संभावना जतायी जा रही है।

छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह और राजस्थान में पार्टी का चेहरा मानी जाने वाली वसुंधरा राजे भी लोकसभा चुनाव में उतर सकती हैं। पार्टी का मानना है कि ये नेता अपनी लोकसभा सीट के साथ ही आसपास की लोकसभा सीटों पर भी वोटरों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। शिवराज सिंह आने वाले दिनों में बिहार की राजधानी पटना में एक ओबीसी रैली को संबोधित करने वाले हैं। माना जा रहा है कि भाजपा शिवराज सिंह का इस्तेमाल पिछड़े वर्ग के वोटरों को अपने पाले में करने के लिए कर सकते हैं। कुछ पार्टी नेताओं के अनुसार, भाजपा इन नेताओं को बतौर बेंच स्ट्रेंथ भी तैयार करना चाहती है। कई बार चर्चाएं होती हैं कि भाजपा के पास मजबूत बेंच स्ट्रेंथ की कमी है। यही वजह है कि पार्टी इन नेताओं को लोकसभा चुनावों में अहम जिम्मेदारी देकर इस तरफ भी ध्यान दे रही है।

बता दें कि सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भाजपा ने इन राज्यों में जिस तरह से सभी एग्जिट पोल्स और सर्वे को धता बताते हुए कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी है। उससे ही इन नेताओं की अपने-अपने राज्यों पर पकड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है। हिंदीपट्टी के राज्यों में ये तीनों ही नेता भाजपा के चुनाव प्रचार को नई धार दे सकते हैं। 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधान सभा में भाजपा ने 109 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस ने 114 सीटों पर जीत दर्ज की थी। अन्य को कुल सात सीटें मिली थीं।