बांग्लादेश के शरणार्थी कैंप में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों से बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने बीते 21 मई को मुलाकात की थी। प्रियंका संयुक्त राष्ट्र की गुडविल ब्रांड एम्बेसडर होने के नाते वहां गई थीं। लेकिन इस मुलाकात ने कई लोगों का पारा चढ़ा दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत करते हुए भाजपा सांसद और बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक विनय कटियार ने उनकी देश में रहने पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
एएनआई के साथ अपनी बातचीत में सांसद विनय कटियार ने कहा,” प्रियंका चोपड़ा जैसे लोग रोहिंग्या मुस्लिमों की हकीकत नहीं जानते हैं। रोहिंग्या मुस्लिमों को इस देश में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती है और जो उनसे हमदर्दी रखते हों, उन्हें भी इस देश में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।” इस मुलाकात के कारण सोशल मीडिया पर भी प्रियंका चोपड़ा को जमकर ट्रोल किया जा रहा है। प्रियंका चोपड़ा से सवाल पूछे जा रहे हैं कि वह दिल्ली में सैकड़ों बार आई होंगी, लेकिन वह कभी भी कश्मीर से विस्थापित कर दिए गए हिन्दुओं और कश्मीरी पंडितों से मिलने क्यों नहीं गईं?

अपने दौरे के बाद प्रियंका चोपड़ा ने एक भावुक पोस्ट लिखी थी। इस पोस्ट में प्रियंका ने लिखा था,”मैं यूनिसेफ के साथ बांग्लादेश के कॉक्स बाजार इलाके में हूं, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा रिफ्यूजी कैंप है। साल 2017 के बीच दुनिया ने देखा कि किस तरह से नैतिक सफाई के नाम पर म्यांमार के रखाइन प्रांत से रोहिंग्याओं को निकाला गया। इस हिंसा में करीब 7 लाख रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंचे, जिनमें से 60 प्रतिशत बच्चे थे। कई महीने बीत जाने के बावजूद भी ये बच्चे अभी भी काफी कमजोर हैं और काफी भीड़-भाड़ वाली जगह पर रहते हैं।”
प्रियंका चोपड़ा ने आगे लिखा,”यह और भी बुरा है कि इन बच्चों को यह भी नहीं पता कि कहां से इनका ताल्लुक है और पता नहीं कब तक ऐसा ही रहने वाला है, या फिर अगला खाना उन्हें कब मिलेगा। मानसून के सीजन की शुरुआत होने वाली है और इस सीजन में डर है कि जो भी इन लोगों ने बनाया है वो मानसून के सीजन में तबाह हो सकता है। यहां बच्चों की पूरी एक पीढ़ी है, जिसका कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है। हालांकि अभी भी ये बच्चे मुस्कुरा रहे हैं और इनकी यह मुस्कुराहट इनकी आँखों में साफ देखी जा सकती है। ये बच्चे इस मानवीय संकट का दर्द सबसे ज्यादा झेल रहे हैं और इन्हें हमारी मदद की जरुरत है। दुनिया को इनकी मदद करनी चाहिए। ये बच्चे हमारा भविष्य है।”

बता दें कि रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार के रखाइन प्रांत के रहने वाले मुस्लिम हैं। म्यांमार सरकार इन्हें प्रवासी और शरणार्थी मानती थी। इसी बीच म्यांमार में बौद्ध, हिन्दुओं और रोहिंग्या मुस्लिमों के बीच भारी संघर्ष शुरू हो गया। एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक रोहिंग्या मुस्लिमों के आतंकवादी संगठन अरसा ने अगस्त 2017 में दर्जनों बेकसूर हिन्दुओं पर हमले करके उन्हें मार दिया था। अरसा ने अपने दो हमलों में 99 से ज्यादा आम हिन्दुओं की हत्या की थी। इन लाशों को म्यांमार की सेना ने चार सामूहिक कब्रों से बरामद किया था। संघर्ष के बाद करीब 7 लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को बांग्लादेश के कॉक्स बाजार इलाके में शरण लेनी पड़ी थी। लेकिन यहां भी उनकी आबादी बढ़ती जा रही है। एमनेस्टी की रिपोर्ट बताती है कि इन कैंप में रोज 60 बच्चे जन्म ले रहे हैं।