बीजेपी सांसद उदय प्रताप सिंह ने शनिवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध करने वाले राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि संविधान का पालन न करने वाले राज्यों पर कार्रवाई की जाएगी। सिंह का बयान पंजाब, छत्तीसगढ़ और केरल सहित कई राज्यों के कानून का विरोध करने के बाद आया है। सीएए के खिलाफ गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने मोर्चा खोला हुआ है। राज्यों का कहना है कि वह अपने यहां इस नए कानून को लागू नहीं होने देंगे।
राज्यों के इस रवैये पर बीजेपी सांसद ने कहा ‘वे राज्य सरकारें जो सीएए का विरोध कर रही हैं वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। यदि राज्य आदेशों का पालन नहीं करते हैं, तो राष्ट्रपति को राज्य सरकारों को खारिज करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करना होगा।
मालूम हो कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार देता है। राष्ट्रपति अपने विवेक और कैबिनेट के मंजूरी के बाद राज्यों में राष्ट्रति शासन लगा सकते हैं। ऐसा तब किया जा सकता है जब राष्ट्रपति को लगे कि राज्य संविधान के मुताबिक नहीं चल रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार सीएए के विरोध में रैलियां और पैदल मार्च कर रही हैं। उन्होंने कहा है कि वह पश्चिम बंगाल में इस कानून को लागू नहीं होने देंगी। वहीं सीएए के खिलाफ एकजूट होने के लिए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शुक्रवार को 11 राज्यों के गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा।
उन्होंने आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, पुडुचेरी, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को यह पत्र जारी किया है। पत्र में उन्होंने कहा है कि भारतीयता के मूल सिद्धांतों को संरक्षित करने के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए। वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सभी दल अगर एकसाथ भी आ जाएं तो तब भी मोदी सरकार अपने फैसले से एक इंच पीछे नहीं हटेगी।