भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली एक संसदीय समिति ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि वह नई दिल्ली में भारत सरकार के संबोधन के लिए ‘केंद्र’ की बजाय यूनियन ऑफ इंडिया फ्रेज को प्राथमिकता देती है, इसे विपक्षी राजनेता भी पसंद करते हैं। हालांकि, एक मंत्रालय इस सुझाव से खुश नहीं है। लोकसभा में राष्ट्रपति के भाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत को यूनियन ऑफ इंडिया के रूप में संदर्भित किया, तब से इस फ्रेज पर मीडिया के भीतर रोज बहस हो रही है।
राहुल गांधी को इसका जवाब देते हुए बीजेपी ने कहा कि भारत में “केंद्रीय” सरकार है और राज्य केवल प्रशासनिक इकाइयां हैं, जबकि कई लोगों ने इस बात पर जोर दिया कि राहुल गांधी केंद्र और राज्यों के बीच संवाद और चर्चा के महत्व पर जोर देने के लिए जो बात कही है, केवल संवैधानिक आधार पर कही है। भाजपा के अमित मालवीय और तेजस्वी सूर्या ने राहुल गांधी के खिलाफ हमले बोला और इसे सांसद निशिकांत दुबे ने आगे बढ़ाया और राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार उल्लंघन नोटिस दिया और उनके भाषण को “देश को विभाजित करने की साजिश” करार दिया।
तमिलनाडु सरकार, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम पार्टी के तहत, “केंद्र” को “भारत संघ” के रूप में भी संदर्भित करती है। इस पर भी बीजेपी को आपत्ति है। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, अब सुशील मोदी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा है कि “सेंट्रल गवर्नमेंट” शब्द का उपयोग करना वास्तव में “अनुचित” है।
पर्सनल, पब्लिक, पब्लिक ग्रेवियांसेज, लॉ एंड जस्टिस मामलों की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने गुरुवार, 24 मार्च 2022 को संसद में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के लिए अनुदान मांगों पर अपनी रिपोर्ट पेश की। संसद की स्थाई समिति ने कहा कि “केंद्र सरकार” शब्द की जगह “यूनियन ऑफ इंडिया” का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और और तीन अंगों के अधिकारियों – कार्यकारी, विधायिका और न्यायपालिका – को भी “यूनियन ऑफ इंडिया के अधिकारी” कहा जाना चाहिए।
हालांकि, कार्मिक मंत्रालय ने समिति को “स्पष्ट रूप से” बताया कि ऐसा सुझाव उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। समिति ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह सिफारिश इसकी सीमा के भीतर है। समिति ने यह भी कहा कि मंत्रालय की ओर से की गई इस तरह की अपमानजनक और अविवेकपूर्ण प्रतिक्रिया से नाखुश है।