19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया और साथ ही एमएसपी को लेकर एक कमेटी का गठन करने का भी निर्णय लिया। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद अब भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने उत्तराखंड के मंदिरों से कब्जा हटाने की मांग की है और कहा है कि ये पार्टी के लिए शर्मनाक है।
शुक्रवार को भाजपा से राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मोदी के पीछे हटने के बाद गर्मी और बर्फीली ठंड होने के बावजूद करीब एक साल से शांतिपूर्ण तरीके से बैठे किसानों की समस्या ख़त्म होते देखकर मुझे ख़ुशी हो रही है। भाजपा को इस बात के लिए प्रायश्चित करने की जरूरत है कि प्रधानमंत्री से एनईसी में प्रस्ताव लाने की मांग के बावजूद उन्होंने लोगों की बात नहीं सुनी।
इसके साथ ही उन्होंने एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि समय आ गया है कि मोदी उत्तराखंड की भाजपा सरकार से कहें कि वह हिंदू मंदिरों पर बनाए गए घटिया पकड़ से पीछे हट जाएं। मंदिरों का यह अधिग्रहण भाजपा के लिए पूरी तरह अवैध और शर्म की बात थी। इसके अलावा उन्होंने एक ट्वीट में यह भी लिखा कि क्या मोदी अब यह भी स्वीकार करेंगे कि चीन ने हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है और मोदी एवं उनकी सरकार चीन के कब्जे से एक-एक इंच वापस पाने का प्रयास करेगी।
बता दें कि शुक्रवार सुबह को प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। कानून वापसी का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए एवं देश के कृषि जगत के हित में और गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए पूरी सत्यनिष्ठा, किसानों के प्रति समर्पण भाव और नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी। लेकिन इतनी पवित्र बात पूर्ण रूप से शुद्ध किसानों के हित की बात हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि आज मैं पूरे देश को ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे। साथ ही एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एवं ऐसे सभी विषयों के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा।