SC ने झारखंड सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ FIR को रद्द करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ मामला खारिज कर दिया गया था। इन सांसदों पर आरोप है कि उन्होंने राज्य के देवघर स्थित हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) कार्यालय में जबरन प्रवेश किया और कर्मचारियों पर अपने चार्टर्ड विमान को उड़ान भरने की मंजूरी देने का दबाव बनाया।

जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि झारखंड सरकार हालांकि, इसे वायुयान अधिनियम, 1934 के तहत अधिकृत अधिकारी को भेज सकती है जो आगे यह फैसला लेगा कि अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज की जानी चाहिए या नहीं। 13 मार्च, 2023 को मामले को रद्द करते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने कहा कि एफआईआर दुर्भावनापूर्ण तरीके से दर्ज की गई है और कार्यवाही जारी रखने की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि झारखंड पुलिस की एफ़आईआर के मामले में सांसदों पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। पीठ ने राज्य सरकार को जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री को चार हफ्ते के भीतर विमानन अधिनियम के तहत अधिकृत अधिकारी को भेजने की स्वतंत्रता दी। पीठ ने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) का सक्षम प्राधिकारी कानून के अनुसार निर्णय लेगा कि अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करने की जरूरत है या नहीं।

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आरोपों की जांच करना डीजीसीए की जिम्मेदारी- SC

शीर्ष अदालत ने 18 दिसंबर को झारखंड हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने दोनों सांसदों के खिलाफ झारखंड सीआईडी ​​की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आरोपों की जांच करना डीजीसीए की जिम्मेदारी है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि मामला विमान अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने योग्य है जिसने विमानन अपराधों से संबंधित पूरी जिम्मेदारी डीजीसीए को दी है।

निशिकांत दुबे-मनोज तिवारी सहित 9 लोगों के खिलाफ

यह मामला झारखंड के देवघर जिले के कुंडा थाना में निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी सहित नौ लोगों के खिलाफ दर्ज एफ़आईआर से संबंधित है। सांसदों ने 31 अगस्त, 2022 को कथित रूप से हवाई अड्डा सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए देवघर हवाई अड्डे पर एटीसी कर्मियों पर निर्धारित समय के बाद अपने चार्टर्ड प्लेन को उड़ान भरने की मंजूरी देने के लिए दबाव डाला था।

शीर्ष अदालत का फैसला झारखंड सरकार की एक याचिका पर आया है, जिसमें 13 मार्च, 2023 के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने इस आधार पर एफ़आईआर को रद्द कर दिया था कि विमानन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के अनुसार, FIR दर्ज करने से पहले लोकसभा सचिवालय से कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गई थी। कानून के तहत, किसी सांसद के खिलाफ कोई भी एफ़आईआर लोकसभा सचिवालय से अनुमोदित होनी चाहिए।

बीजेपी सांसदों के चार्टर्ड प्लेन के उड़ान भरने से जुड़ा है मामला

हाई कोर्ट की कार्यवाही के दौरान निशिकांत दुबे के वकील ने दलील दी कि 31 अगस्त, 2023 को उनकी विशेष उड़ान में देरी हुई थी लेकिन विमानन नियमों के अनुसार सूर्यास्त के आधे घंटे बाद उड़ान भरी जा सकती थी। उन्होंने कहा, उस दिन सूरज शाम करीब 6.03 बजे अस्त हुआ जबकि विमान ने 6.17 बजे उड़ान भरी जो उड़ान के स्वीकृत मानदंडों के भीतर था। वकील ने दलील दी थी कि सांसदों को राजनीतिक प्रतिशोध के कारण निशाना बनाया गया और दुर्भावनापूर्ण तरीके से झूठे मामले में फंसाया गया। पढ़ें- देशभर की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स

(भाषा के इनपुट के साथ)