अपने ही देश में शरणार्थियों का जीवन जीने वाले और अपनी ही ज़मीन पर अत्याचार झेलने के बाद घर-बार छोड़ने को मजबूर होने वाले कश्मीरी पंडितों का मुद्दा राजनीतिक गलियारों में हमेशा ही घूमता रहा है। उन्हें न्याय दिलाने की बात सरकारें करती रही हैं। मोदी सरकार भी अनुच्छेद 370 को खत्म कर ने के बाद अब कश्मीरी पंडितों को पुनः बसाने की बात कर रही है लेकिन इसी बीच केंद्रीय मंत्री मीनाक्षीलेखी का एक विरोधाभासी बयान सामने आया है।

मीनाक्षी लेखी ने अपने बयान में कश्मीर वापस न लौटने के लिए कश्मीरी पंडितों को ही दोषी बता दिया। उन्होंने यह भी कहा कि महामारी के बाद प्रवासी मजदूर जब अपने काम पर लौट आए तो त्रासदी के बाद कश्मीरी पंडित क्यों नहीं लौटे थे। बता दें कि भाजपा सरकार के अजेंडे में कश्मीरी पंडितों को उनका अधिकार दिलाना भी है और इसके लिए मौजूदा सरकार कांग्रेस को दोषी ठहराती रही है। बहुत सारे कश्मीरी पंडित भाजपा का समर्थन भी करते हैं।

हाल ही में केंद्र में विदेश राज्य मंत्री का पदभार संभालने वाली मीनाक्षी लेखी के साथ चर्चा के दौरान एक स्पीकर ने पूछा कि उन्हें कश्मीर में कब बसाया जाएगा ताकि वे अपनी संस्कृति बचा सकें। इसपर लेखी ने कहा, ‘मुझे इस सवाल पर ही आश्चर्य है क्योंकि आप इस देश के अंग हैं और जहां चाहें जा सकते हैं। कोई किसी को वापस घर जाने से नहीं रोक रहा है। इसके अलावा जिस चीज की जरूरत होगी, दी जाएगी।’

उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत सारे लोगों को जानती हूं जो कि देश में कई जगह बसे हैं। कई लोगों के मन में अपनी मातृ भूमि पर बसने की इच्छा होगी लेकिन अब वे जहां भी हैं, खुश हैं। वे नहीं चाहते कि अब किसी तरह की दिक्कत हो।’

इस बीच एक प्रतिभागी ने यह कहा भी कि कश्मीरी पंडितों को जबरन भगाया गया था और यह मुद्दा प्रवासी मजदूरों के साथ तुलना करने के लिए सही नहीं है। मीनीक्षी लेखी के इस बयान का विरोध कई कश्मीरी पंडितों ने सोशल मीडिया पर भी किया है।