भाजपा के दिल्ली से सांसद हंसराज हंस ने एक बार अपने बयान से चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने 1984 में सिख विरोधी दंगों के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जिम्मेदार ठहराया। उत्तर पूर्व दिल्ली से भाजपा सांसद जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
जब हंसराज हंस को यह बताया गया कि सिख दंगे इंदिरा गांधी की मौत के बाद हुए थे तो इसके बाद भाजपा सांसद ने अपना बयान बदल लिया। उन्होंने कहा कि दंगे के लिए ‘नेहरू का खून’ ही जिम्मेदार था। हंस ने जेएनयू में छात्रों, यूनिवर्सिटी स्टाफ व अन्य लोगों को उस समय हैरानी में डाल दिया जब उन्होंने सिख विरोधी दंगों के लिए नेहरु को जिम्मेदार ठहराया।
इससे पहले उन्होंने कहा कि नेहरू को देश का पहला नहीं बल्कि दूसरा प्रधानमंत्री होना चाहिए था। भाजपा सांसद ने यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि नेहरू के शासन काल में ही कश्मीरियों, सिख, सूफी और पंडित सभी को परेशानी झेलनी पड़ी। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी हुआ, नेहरू के खून के शासनकाल में ही हुआ।
भाजपा सांसद ने इससे पहले जेएनयू का नाम बदल कर एमएनयू (मोदी नेशनल यूनिवर्सिटी) रखने का सुझाव दिया था। भाजपा सांसद ने कहा था कि इस देश में मोदी के नाम पर कुछ भी नहीं है। अब समय है कि कम से कम एक तो मोदी के नाम पर होना चाहिए।
भाजपा सांसद ने कहा कि यह वही जेएनयू है जिसने ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ को पनाह दी और यदि इस यूनिवर्सिटी का नाम बदल दिया जाता है तो इस संस्थान में ऐसे गैंग की विचारधारा में भी बदलाव आ जाएगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में पार्टी के नेता और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी अपने साथी नेता की बात का समर्थन किया।
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तिवारी ने कहा कि हम लोग यहा सकारात्मक जेएनयू देख रहे हैं। इससे पहले यहां ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ के नारे लगे थे लेकिन समय के साथ संस्थान बदल रहा है। अब हम छात्रों को ‘वंदे मातरम’ और ‘भारत माता की जय’ कहते हुए सुन रहे हैं। हंसराज हंस के जेएनयू का नाम एमएनयू रखने के सुझाव पर मनोज तिवारी ने कहा, ‘हंसराज हंस जी ने वहीं कहा जो वह महसूस करते हैं। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह मोदी जी को पसंद करते हैं।’