ऐसे समय जब महाराष्ट्र कृषि संकट से जूझ रहा है, तब भाजपा के सांसद गोपाल शेट्टी ने किसानों की आत्महत्या को जिंदगी खत्म करने का ‘फैशन’ और ‘चलन’ बताकर विवाद पैदा कर दिया है। सांसद की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा कि शेट्टी की ‘असंवेदनशील’ टिप्पणी किसानों के प्रति भाजपा की ‘असंवेदनशीलता’ को दर्शाती है। उधर शेट्टी ने कहा कि उनके बयान को ‘पूरी तरह तोड़-मरोड़कर’ पेश किया गया है और मीडिया ने इसे संदर्भ से अलग पेश किया।
उत्तर मुंबई का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद शेट्टी ने बुधवार को बोरीवली में आयोजित कार्यक्रम से इतर कहा, ‘सब किसानों की आत्महत्या बेरोजगारी और भुखमरी के कारण नहीं होती है। एक फैशन सा चल निकला है। यह चलन हो गया है।’ शेट्टी ने कहा, ‘यदि महाराष्ट्र सरकार मुआवजे के रूप में पांच लाख रुपए दे रही है तो पड़ोसी राज्य में कोई दूसरी सरकार सात लाख दे रही है।’ पहली बार सांसद बने शेट्टी ने कहा, ‘किसानों को मुआवजे में धन देने के लिए इन लोगों के बीच होड़ लगी हुई है।’
शेट्टी की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए कांगे्रस ने कहा कि उनकी ये टिप्पणियां किसानों के दुख के प्रति भाजपा की ‘असंवेदनशीलता’ को दर्शाती हैं। मुंबई कांग्रेस प्रमुख संजय निरुपम ने कहा, ‘एक ऐसे समय में, जब महाराष्ट्र अब तक के सबसे बुरे कृषि संकट से गुजर रहा है, ऐसे में शेट्टी की टिप्पणी दिखाती है कि वह और उनका दल उन हजारों किसानों के प्रति कितने असंवेदनशील हैं, जिन्होंने ऋण और फसल की बर्बादी के कारण आत्महत्या कर ली है।’
शेट्टी ने कहा, ‘मुझसे एक संवाददाता ने पूछा था कि क्या 124 किसानों द्वारा आत्महत्या कर लिया जाना राज्य की भाजपा सरकार की विफलता नहीं है? इस पर मैंने जवाब दिया कि फडणवीस सरकार ‘जल शिवार योजना’ जैसी योजनाओं के जरिए शानदार काम कर रही है और इनके लाभ किसानों तक पहुंचने में समय लगेगा। आत्महत्याएं रातों रात नहीं रुक जाएंगी क्योंकि पिछली सरकार ने पिछले 15 साल में ऐसे आत्मघाती चलन को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया।’
उन्होंने कहा, ‘मैंने यह भी कहा कि आजकल देश में सभी राज्य सरकारों द्वारा धन बांटने का फैशन हो गया है। एक राज्य सरकार पांच लाख रुपए देती है, दूसरी सरकार आठ लाख देती है जबकि एक अन्य सरकार मृतक के परिवार को नौ लाख रुपए देती है।’ शेट्टी ने अपना रुख साफ करते हुए कहा, ‘तो मेरा इरादा यह कहने का था कि राज्य सरकारों के बीच किसानों को आर्थिक मदद देने के लिए एक होड़ और दौड़ लगी हुई है। यह दौड़ आजकल का फैशन हो गई है। मेरा बयान इस बात के साथ जोड़ दिया गया कि किसान चलन हो जाने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसा मैं कभी कह ही नहीं सकता।’ शेट्टी ने कहा, ‘मैंने यह भी कहा कि मृतक किसानों के परिवारों के बीच धन वितरण करने से यह रुकने वाला नहीं है। हमें एक ऐसी टिकाऊ और दीर्घकालिक योजना की जरूरत है, जो उन्हें आय का स्थायी स्रोत दे।’
राज्य सरकार ने दो दिन पहले ही बंबई उच्च न्यायालय को बताया था कि इस साल जनवरी से अब तक 124 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। उच्च न्यायालय ने केंद्र से पूछा था कि इस भयावह कृषि संकट से निपटने के लिए सरकार किस तरह की मदद उपलब्ध करा रही है? महाधिवक्ता श्रीहरि एने ने पीठ को बताया था कि कम बारिश के कारण फसल बर्बाद होने, पीने के लिए और फसलों के लिए पानी की कम आपूर्ति, ऋण चुकाने में असमर्थता और बैंकों एवं साहूकारों की ओर से डाले जाने वाले दबाव ने इन किसानों को आत्महत्या के लिए विवश किया।
* महाराष्ट्र में इस साल जनवरी से अब तक 124 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
*शेट्टी की टिप्पणी किसानों के प्रति भाजपा की ‘असंवेदनशीलता’ को दर्शाती है: कांग्रेस।
* बयान को ‘पूरी तरह तोड़-मरोड़कर’ पेश किया गया है और इसे संदर्भ से अलग पेश किया गया : गोपाल शेट्टी।