दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की नेता बृंदा करात की उस याचिका को रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने इन दोनों नेताओं के खिलाफ कथित तौर पर भड़काऊ और नफरत भरे भाषण देने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।

एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पहूजा ने इस याचिका को यह तर्क देते हुए रद्द किया कि दो सांसदों पर अभियोग चलाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से सीआरपीसी की धार 196 के तहत इजाजत की जरूरत पड़ेगी। सुनवाई के दौरान जब बृंदा करात की टीम से पूछा गया कि क्या उन्होंने केंद्र सरकार से इसकी स्वीकृति हासिल की है, तो उन्होंने न में जवाब दिया। इसके बाद ही कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता प्रतिवादियों पर अभियोग चलाने के लिए जरूरी मंजूरी हासिल नहीं कर पाए। इसलिए उनकी शिकायत को रद्द किया जाता है।

बता दें कि बृंदा करात इससे पहले पार्लियामेंट स्ट्रीट के पुलिस कमिश्नर के साथ एसएचओ को भी दोनों सांसदों के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए लिख चुकी हैं, हालांकि जवाब नहीं मिलने के बाद उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। करात ने अपने शिकायत में कहा था कि प्रवेश वर्मा ने 27 जनवरी को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को धमकाया था और भड़काऊ बयान दिए थे। इसी तरह अनुराग ठाकुर पर भी उसी दिन सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को धमकाने के आरोप लगाए गए। करात की शिकायत थी कि ठाकुर ने प्रदर्शनकारियों को गद्दार कह कर संबोधित किया।

गौरतलब है कि अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के इन बयानों के लिए खिलाफ दिल्ली चुनाव से पहले भी चुनाव आयोग में शिकायत हुई थी। तब चुनाव आयोग ने दोनों को स्टार कैंपेनर की लिस्ट से हटाने का फैसला सुनाया था। इसके बाद से ही कई नेताओं ने दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की है।