भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित एलएसी पर पिछले छह महीने से तनाव जारी है। इस बीच गुरुवार को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन और भारत अपनी-अपनी सेनाओं को पैंगोंग सो और अन्य विवाद वाली जगहों से पीछे हटाने के लिए सहमत हुए हैं। अभी यह तय नहीं है कि पूरी प्रक्रिया को कैसे अंजाम दिया जाएगा। हालांकि, इससे पहले ही भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सु्ब्रमण्यम स्वामी ने भारत और चीन के बीच किसी तरह के समझौते पर चिंता जाहिर कर दी।
स्वामी ने पहले ट्वीट में कहा कि अगर सीमा विवाद पर चीन और पाकिस्तान नहीं झुके तो क्या? वहीं, एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि चीनी सेना (PLA) के पैंगोंग लेक से पीछे हटने के प्रस्ताव के खतरनाक अंजाम हो सकते हैं, क्योंकि भारत ने वहां ऊपर पठार पर कब्जा किया है, जबकि पीएलए ने नीचे मैदानी इलाके पर। स्वामी ने कहा कि असली वापसी तब मानी जाएगी, जब पीएलए डेपसांग को जैसा है वैसा ही छोड़ दे। वहां चीनी सेना की मौजूदगी अस्वीकार्य है।
स्वामी का यह ट्वीट न्यूज एजेंसी पीटीआई की उस रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि 6 नवंबर को लद्दाख के चुशुल में जो बैठक हुई थी, उसमें दोनों सेनाओं के बीच एलएसी पर पहले जैसे हालात कायम रखने पर सहमति बनी है। दोनों सेनाओं के बीच हुए आठवें राउंड की बैठक के बाद दोनों के बीच इस प्रस्ताव पर समझौते की बात सामने आई है। माना जा रहा है कि भारत और चीन के बीच जल्द ही 9वें राउंड की बैठक भी होगी।
चीन के साथ विश्वास की कमी का मुद्दा उठा चुके हैं अधिकारी स्वामी: से पहले एक अधिकारी ने कहा कि अभी किसी भी बात पर औपचारिक सहमित पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं। ये सारी बातें ग्रे जोन में हैं। उन्होंने कहा कि भारत फिर भी चीन से सावधान ही रहेगा क्योंकि विश्वास की कमी है। 15 जून को गलवान घाटी में हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों की जान चली गई थी वहीं चीन के कई सैनिक मारे गए थे। भारत के मुताबिक एलएसी फिंगर 8 से होकर गुजरती है लेकिन मई में चीनी सेना 8 किलोमीटर अंदर फिंगर-4 तक आ गई थीं। जुलाई में बातचीत के बाद चीनी सेना फिंगर 5 में और भारतीय सेना फिंगर-3 में चली गई थीं।