शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में नई सरकार ने 28 नवंबर को शपथ लेकर काम करना शुरू कर दिया। सरकार में एनसीपी और कांग्रेस भी शामिल है। तीन दलों की इस सरकार को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह का कहना है कि शिवसेना और कांग्रेस बिल्कुल अलग विचारधारा के दल हैं। लेकिन सरकार बनाने के लिए शिवसेना ने अपनी विचारधारा को छोड़कर कांग्रेस के साथ मिल गई।
विचारधारा का होगा टकराव : उन्होंने तंज कसा, “शिवसेना ने बाला साहब की आत्मा को सोनिया गांधी के हाथों गिरवी रख दिया..अब शिवसैनिक को प्रभु राम और अयोध्या का नाम लेने के लिए भी 10 जनपथ पर नाक रगड़नी पड़ेगी।” इसके साथ ही शिवसेना हिंदूवादी विचारधारा के लिए जानी जाती है। उस पर सांप्रदायिक विचार रखने के आरोप लगते रहे हैं। गिरिराज सिंह का कहना है कि इससे शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे की आत्मा को कष्ट होगा। शिवसेना को उन्होंने जिस विचार से 1966 में स्थापित किया था, वह विचार अब सीएम उद्धव ठाकरे छोड़ दिए हैं।
Hindi News Today, 29 November 2019 LIVE Updates: देश-दुनिया की हर खबर पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक
शिवसेना ने बाला साहब की आत्मा को सोनिया गांधी के हाथों गिरवी रख दिया..अब शिवसैनिक को प्रभु राम और अयोध्या का नाम लेने के लिए भी 10 जनपथ पर नाक रगड़नी पड़ेगी।
शिवसेना को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे मुगलों ने हिन्दुस्तान में अपना पांव पसारा होगा?
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) November 28, 2019
बीजेपी और शिवसेना ने साथ लड़ा था चुनाव : कुछ दिनों पहले तक एनडीए में शामिल रही शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ा था। बीजेपी को 105 सीटें और शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली थी। दोनों पार्टियों को मिलाकर सरकार बनाने का स्पष्ट बहुमत भी था, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों ही पार्टियों में मतभेद उभरे तो शिवसेना ने पाला बदलकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। अब सीएम उद्धव के सामने सरकार को पांच साल तक चलाने की चुनौती है।
बड़े मंत्रालयों को बांटना भी चुनौती : महाराष्ट्र में शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। गुरुवार को सीएम ने अपनी कैबिनेट की पहली बैठक भी की और महत्वपूर्ण फैसले भी लिए। उनके साथ कुछ और मंत्रियों ने भी शपथ ली थी। अभी सरकार के विस्तार के वक्त भी सीएम उद्धव के सामने चुनौती आएगी। महत्वपूर्ण और बड़े मंत्रालयों पर कांग्रेस और एनसीपी दोनों दलों के नेता अपना ध्यान लगाए हुएं हैं।