केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का आज 39वां स्थापना दिवस है। 6 अप्रैल 1980 को बीजेपी की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में हुई थी। लाल कृष्ण आडवाणी की भी इसमें बड़ी भूमिका थी। पार्टी की स्थापना तब हुई थी जब केंद्र की पहली गैर कांग्रेसी सरकार यानी जनता पार्टी की मोरराजी देसाई की सरकार जनता परिवार में हुए आंतरिक विरोधों के बाद गिर गई थी। जनता पार्टी की इस सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे लेकिन कुछ दलों को साथ मिलाकर उन्होंने 1980 में भारतीय जन संघ की विचारधारा को बढ़ाते हुए भारतीय जनता पार्टी की नींव डाली। बता दें कि जनता पार्टी में कई दलों का विलय 1977 के चुनावों में तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष इंदिरा गांधी को राजनीतिक शिकस्त देने के लिए हुआ था लेकिन यह गठबंधन करीब दो साल तक ही चल सका। मोरारजी सरकार गिरने के बाद 1980 में दोबारा आम चुनाव हुए और 353 सीटों के साथ कांग्रेस की सत्ता में जबर्दस्त वापसी हुई।

इसके बाद जनसंघ के नेताओं ने एकला चलो की नीति को अपनाते हुए बीजेपी की स्थापना की। दरअसल, यह भारतीय जनसंघ का ही परिष्कृत रूप था। लिहाजा, बीजेपी ने जनसंघ के हिन्दू राष्ट्रवाद से सीख लेते हुए पांच सिद्धांतों को आधार बनाया और देशभर में प्रसार का सपना देखा। बीजेपी ने स्थापना काल में जिन पांच सिद्धांतों को आत्मसात किया उनमें राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय अखंडता, लोकतंत्र, सकारात्मक पंथ निरपेक्षता और नैतिक मूल्यों पर आधारित राजनीति था। लेकिन जैसे-जैसे पार्टी की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बढ़ती गईं, वैसे-वैसे मूल सिद्धांतों में भी जोड़-तोड़ देखा गया। पार्टी ने चुनावी जीत के लिए भी कई बार मूल सिद्धांतों से समझौता किया है। पार्टी ने धीरे-धीरे हार्डकोर हिन्दुत्व का एजेंडा अपना लिया और गैर हिन्दुओं से मुंह मोड़ लिया।

1984 में लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के अध्यक्ष बने। उन्होंने अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद का मुद्दा बुलंद किया। हालांकि, इसी मुद्दे ने बीजेपी को राष्ट्रीय फलक पर विस्तार का मौका दिया। 1984 के लोकसभा चुनावों में जहां बीजेपी के दो सांसद चुनकर संसद पहुंचे थे, वहीं पांच साल बाद 1989 के आम चुनावों में बीजेपी के 85 सांसद चुनकर आए और बीजेपी स्थापना के बाद पहली बार बीजेपी के सहयोग से केंद्र में वी पी सिंह की अगुवाई में गैर कांग्रेसी सरकार बनी। वीपी सिंह द्वारा देशभर में आरक्षण के लिए मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने से खफा बीजेपी ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। बाद में चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने। इस बार कांग्रेस ने उनकी सरकार को भी समर्थन दिया था।

साल 1991 में हुए आम चुनावों में बीजेपी की लोकसभा में सीटें बढ़कर 120 तक हो गईं। पांच साल बाद 1996 में जब फिर से आम चुनाव हुए तब बीजेपी 161 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी थी। स्थापना के 16 साल बाद ही बीजेपी ने देश में अपने बुते सरकार बनाई, हालांकि, तब की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार मात्र 13 दिन तक ही शासन कर सकी। इसके बाद तीसरे मोर्चे की सरकार बनी जिसे कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया था। 1998 तक एचडी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल की सरकार रही। 1998 में मध्यावधि चुनाव में बीजेपी को 182 सीटें हासिल हुईं। इसके बाद फिर से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी लेकिन यह सरकार 13 महीने ही चल सकी। एआईएडीएमके के समर्थन वापसी के बाद सरकार गिर गई थी।

1999 में जब आम चुनाव हुए तो बीजेपी फिर से 182 सीट जीतने में कामयाब रही और पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में एनडीए की सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया। 2004 में समय से पहले कराए गए चुनाव में बीजेपी की वाजपेयी सरकार हार गई और दस साल यानी 2004 से 2014 तक केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार काबिज हो गई। मगर जब 2014 में आम चुनाव हुए तब बीजेपी स्थापना के बाद पांचवी बार गैर कांग्रेसी और चौथी बार बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बनी। अपनी स्थापना के 38वें साल में बीजेपी 11 करोड़ सदस्यों के साथ दुनिया की नंबर वन राजनीतिक पार्टी बन चुकी है। इतना ही नहीं मौजूदा समय में कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से अरुणाचल तक बीजेपी और सहयोगियों की 20 राज्यों में सरकार है। इससे पहले 19 राज्यों में इंदिरा गांधी की अगुवाई में कांग्रेस सरकार होने का रिकॉर्ड था जिसे अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने तोड़ दिया है।