पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को झटका देने के बाद अब तृणमूल कांग्रेस (TMC) त्रिपुरा में बीजेपी के बाग़ियों को पार्टी में शामिल करने का प्रयास कर रही है। इसकी ज़िम्मेदारी हालही में भाजपा छोड़कर वापस टीएमसी में आने वाले मुकुल रॉय को दी गई है।
पार्टी नेताओं के जाने की अटकलों के बीच भाजपा के केन्द्रीय नेताओं की एक टीम राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष के नेतृत्व में पार्टी के राज्य नेतृत्व के साथ संगठनात्मक बैठक करने के लिए बुधवार को दो दिवसीय यात्रा पर अगरतला पहुंची है। टीम में असम और त्रिपुरा के लिए भाजपा के संगठनात्मक सचिव फणींद्रनाथ शर्मा, पूर्वोत्तर महासचिव (संगठन) अजय जामवाल और राज्य पर्यवेक्षक विनोद सोनकर हैं। दिन में उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष माणिक साहा और सभी जिलों के पार्टी अध्यक्षों से मुलाकात की।
टीम मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब, उनके कैबिनेट सहयोगियों और राज्य के दो सांसदों प्रतिमा भौमिक और रेबती त्रिपुरा से भी मुलाकात करेगी। भाजपा प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्य ने बताया, ‘‘बैठकों का उद्देश्य पार्टी के संगठन को मजबूत करना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ये सभी नियमित बैठकें हैं। पार्टी चाहती है कि नेता महामारी के दौरान अधिक सक्रिय रहें और लोगों तक पहुंचें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘त्रिपुरा के लोग लोकतांत्रिक रूप से जागरूक हैं। उन्होंने प्रवासी पक्षियों की तरह बाहर से क्षेत्रीय दलों को त्रिपुरा में आते देखा है। इसके अलावा, लोग बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा की गई चुनाव बाद की हिंसा को देख रहे हैं।’’
भाजपा ने दावा किया कि नेता अगले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के तहत त्रिपुरा गए हैं, जो कि दो साल दूर हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि टीएमसी के प्रयास सफल नहीं होंगे क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व ने असंतुष्ट नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को संबोधित किया और उन्हें शांत किया।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष माणिक साका ने कहा कि “सब ठीक है” और किसी भी मतभेद को चर्चा के माध्यम से सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय नेता भाजपा की सहयोगी आईपीएफटी से भी मुलाकात करेंगे।
पश्चिम बंगाल में वाम दलों के साथ कांग्रेस के गठबंधन के बाद, मुकुल रॉय ने 2016 में कांग्रेस के छह त्रिपुरा विधायकों को टीएमसी में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बाद में सभी छह विधायक रॉय के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे।