Political News: पंजाब कांग्रेस ने पिछले दिनों अपने विधायक संदीप जाखड़ को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया। कांग्रेस की तरफ से संदीप जाखड़ को पार्टी से निकालने की वजह अपने चाचा और पंजाब बीजेपी चीफ सुनील जाखड़ का पक्ष लेना बताया गया। इसके अलावा कांग्रेस की डिसीप्लिनरी एक्शन कमेटी ने अपने ऑर्डर में कहा कि संदीप जाखड़, जिस घर को अपने चाचा के साथ शेयर करते हैं उसके ऊपर बीजेपी का झंडा लहरा रहा है।
अब कांग्रेस का यही आदेश उसके लिए सिरदर्द बन सकता है। दरअसल सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) 2021 तक पंजाब में कांग्रेस के चीफ थे। उन्होंने पिछले साल बीजेपी का दामन थाम लिया। हाल ही में उन्हें बीजेपी ने पंजाब में पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया है। अब इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में संदीप जाखड़ ने दावा किया कि उनके निलंबन के पीछे कोई गुप्त मकसद है।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में संदीप जाखड़ ने इशारा करते हैं कि पंजाब के वर्तमान कांग्रेस चीफ और कादियान से कांग्रेस के विधायक प्रताप सिंह बाजवा अपने छोटे भाई और बीजेपी के सदस्य फतेहजंग सिंह बाजवा के साथ रहते हैं। जिस घर में ये दोनों रहते हैं, वो उनका पैतृक आवास है। इसपर भी बीजेपी का झंडा फहरा रहा है।
बाजवा बोले- मेरे और संदीप के केस में समानता नहीं
हालांकि जवाब में प्रताप सिंह बाजवा कहते हैं कि उनके और संदीप के केस में कोई समानता नहीं है। वो कहते हैं कि दोनों मामलों में बहुत अंतर है। फतेहजंग ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा और बाटला से चुनाव लड़ा, जहां उसे शिकस्त मिली। दूसरी तरफ संदीप जाखड़ कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर विधायक चुना गया और अब वो पार्टी को धोखा दे रहा है।
वो आगे कहते हैं कि दोनों मामलों में एक अंतर और है। उनके पैतृक आवास पर कांग्रेस के तीन झंडे फहरा रहे हैं। फतेहगंज ने ग्राउंड फ्लोर पर, जहां वो रहते हैं वहां झंडे लगाए हैं। बाजवा कहते हैं कि संदीप जहां रहते हैं, उस घर पर सिर्फ बीजेपी का झंडा है, अगर उनमें हिम्मत है तो वो वहां कांग्रेस का झंडा लगाकर दिखाएं।
प्रताप सिंह बाजवा कहते हैं कि वो और फतेहजंग एक संयुक्त परिवार में रहते हैं। अगर फतेहजंग ने अपने हिस्सा वाले संयुक्त मकान पर बीजेपी का झंडा लगाया हुआ है तो उसे कैसे हटाने के लिए कह सकते हैं? पैतक घर और जमीन का बटवारा होना अभी बाकी है।
क्या कांग्रेस सीनियर नेताओं पर कसना चाहती है नकेल?
हालांकि, जैसे ही प्रताप सिंह बाजवा का नाम उनके मामले में घसीटा गया, संदीप आरोप लगाते हैं कि इसका उद्देश्य सीनियर कांग्रेस नेताओं को नियंत्रण में रखना हो सकता है। संदीप जाखड़ कहते हैं, “सभी लोग इस बारे में बात कर रहे हैं। प्रेस मुझसे सवाल कर रही है कि उनके घर पर भी झंडा है। वो इसे मेरे निलंबन की एक वजह बता रहे हैं, वो मुझे ऐसे ही निलंबित भी कर सकते थे। हालांकि मेरे निलंबन के लिए झंडे को वजह बताना कांग्रेस में चल रही आंतरिक उथल-पुथल का इशारा करता है।”
संदीप जाखड़ आगे कहते हैं कि सभी लोगों के देखने के लिए सबूत मौजूद हैं। वो कहते हैं, “मैंने कभी कोई तुलना नहीं की लेकिन सिर्फ यह बताया कि निलंबन पत्र में जो विशेष पंक्ति (बीजेपी के झंडे के बारे में) जोड़ी है, उसका कोई मतलब नहीं है। क्योंकि जब आप निलंबित करते हैं तो यह स्पष्ट है कि मैं किसी भी गतिविधि में भाग नहीं ले रहा हूं। जिसने भी यह लाइन जोड़ी, यह प्रताप सिंह बाजवा के खिलाफ जानी तय है। यह कांग्रेस की इंटरनल राजनीति को दर्शाता है… अगर मेरे चाचा बीजेपी अध्यक्ष हैं, तो निश्चित रूप से उनके घर पर भाजपा का झंडा लहराएगा।”
हालांकि कांग्रेस पार्टी के एक सीनियर नेता कहते हैं कि प्रताप सिंह बाजवा का केस संदीप जाखड़ के मामले से अलग है। संदीप कांग्रेस के चिन्ह पर चुना हुआ विधायक है। अब वो अपना चाचा के साथ रहना चाहता है। उसे कांग्रेस से इस्तीफा दे देना चाहिए और फिर से चुनाव लड़ना चाहिए।
संदीप जाखड़ का कहना है कि वो इस्तीफा नहीं देंगे। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में वो कहते है, “अबोहर के लोगों ने मुझे जिम्मेदारी दी है। मैं उसी जिम्मेदारी को निभा रहा हूं, जब समय आएगा तो खुद लोग तय करेंगे… मैं अपना काम करता रहूंगा। उन्होंने मुझे पार्टी से निकाल दिया है। अब मैं कांग्रेस का विधायक नहीं हूं।”
मेरे चाचा ही मेरे नेता- संदीप
वो आगे कहते हैं कि पिछले साल ही उन्होंने कांग्रेस को यह स्पष्ट रूप से बता दिया था कि वो अपने चाचा का समर्थन करते हैं। संदीप जाखड़ ने कहा, “पिछले एक साल में हर फोरम पर, हर इंटरव्यू में, मैंने यह हमेशा स्पष्ट किया है कि सुनील जी मेरे नेता हैं। मुझे इसमें कोई विरोधाभास नहीं दिखता। पार्टी एक साल से जानती है कि मैं सुनीलजी के साथ हूं।”
संदीप जाखड़ आगे कहते हैं कि ये जानते हुए भी प्रताप सिंह बाजवा सहित कांग्रेस के उनके साथियों ने हमेशा उनका समर्थन किया। संदीप के चाचा और पंजाब बीजेपी चीफ सुनील जाखड़ भी अपने भतीजे को डिफेंड करते हुए कहते हैं कि हमें इस बात का गर्व है कि हम संयुक्त परिवार में एक साथ रह रहे हैं। यह पंजाब कांग्रेस के नेताओं को बर्दाश्त नहीं हो रही है। उन्हें इस बात की बढ़ाई करनी चाहिए कि ऐसे समय में भी हमें अपने मूल्य, रीति-रिवाज और संस्कृति को पसंद हैं। सुनील जाखड़ आगे कहते हैं, “पार्टी विरोधी गतिविधियों पर उसे जवाब देना है लेकिन जो मैंने सुना है वो यह कि उससे प्रक्रिया के तहत जवाब नहीं मांगा गया।”
बाजवा बोले- देश में ऐसे सैकड़ों मामले
दूसरी तरफ प्रताप सिंह बाजवा विभिन्न पार्टियों में एक परिवार के विभिन्न सदस्यों के कई उदाहरण देते हैं। वो कहते हैं कि पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले साल बीजेपी का दामन थाम लिया जबकि उनकी पत्नी परनीत कौर पटियाला से कांग्रेस की विधायक हैं। चरणजीत सिंह चन्नी कांग्रेस के नेता हैं और पंजाब के सीएम रह चुके हैं लेकिन उनके भाई मनोहर सिंह निर्दलीय विधायक चुने गए। वो पहले कांग्रेस में ही थे। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल के चचरे भाई मनप्रीत बीजेपी के सदस्य हैं। वो कांग्रेस में भी रह चुके हैं। कांग्रेस नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा के भाई इंदरजीत सिंह रंधावा SAD में रह चुके हैं। वो अब वापस आ गए हैं।
बाजवा कहते हैं कि इसी तरह से नेशनल लेवल पर भी सैंकड़ों मामले हैं। पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा थे। उनके बेटे जयंत सिन्हा बीजेपी के सांसद हैं। वो आगे कहते हैं कि भारत के टॉप परिवारों को गिन लीजिए। इसमें गलत क्या है? यह एक परिवार तक सीमित नहीं है। वो कहते हैं, “में अपने भाई की जिम्मेदारी नहीं ले सकता। यहां तक कि एक पिता भी अपने बेटे की जिम्मेदारी नहीं ले सकता। यहां हम भाइयों की बातें कर रहे हैं।”