बीजेपी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद कमान संभाले हुए हैं। हरियाणा में भी बीजेपी विशेष ध्यान दे रही है। 18 जून को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के सबसे छोटे बेटे और हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला के सिरसा आवास पर चाय पर लगभग 30 मिनट बिताए। यह अनौपचारिक बातचीत हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मौजूदगी में हुई। उस दिन अमित शाह ने राजस्थान की सीमा से लगे सिरसा में भाजपा की एक रैली को भी संबोधित किया।

रणजीत चौटाला को बीजेपी दे रही महत्व

बगल की रानिया सीट से निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला को भी भाजपा की रैली में काफी महत्व दिया गया, भले ही वह पार्टी के सदस्य नहीं हैं। माना जा रहा है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में जाट मतदाताओं की मौजूदगी को देखते हुए बीजेपी उन्हें भी कोई भूमिका दे सकती है।

एक अन्य घटनाक्रम में भाजपा ने हाल ही में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई को राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का सह-प्रभारी नियुक्त किया है। 2022 में राज्यसभा चुनाव में भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को वोट देकर कांग्रेस से बगावत करने के बाद कुलदीप बिश्नोई बीजेपी में शामिल हो गए थे।

बीजेपी बिश्नोई और जाट समाज को लुभाना चाहती है

इन सभी घटनाक्रम का उद्देश्य राजस्थान के बिश्नोई और जाट मतदाताओं को लुभाना है। इनकी 200 विधानसभा सीटों में से लगभग 80 में महत्वपूर्ण उपस्थिति है। पिछले कुछ समय से भाजपा देवी लाल और भजन लाल के राजनीतिक राजवंशों को लुभाने में लगी हुई है, जिनका हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान सहित पड़ोसी राज्यों की कुछ जातियों या क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव है। जहां देवीलाल लंबे समय तक सबसे बड़े जाट नेता थे, वहीं भजनलाल को अपने 54 साल लंबे राजनीतिक करियर के दौरान बिश्नोई लोगों के बीच बहुत सम्मान मिला था।

1989 के संसदीय चुनाव में देवीलाल ने जनता दल के टिकट पर राजस्थान के सीकर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ को हराया था। इसके अलावा उन्होंने हरियाणा की रोहतक सीट भी जीती थी। जाट मतदाताओं की महत्वपूर्ण उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए जननायक जनता पार्टी (JJP) के अध्यक्ष और हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की भी बीजेपी के साथ राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना है। जेजेपी हरियाणा सरकार में भाजपा की गठबंधन सहयोगी है।

दुष्यंत के पिता अजय चौटाला दो बार राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए। पहली बार 1989 में दाता राम गढ़ से चुने गए थे और फिर 1993 में नोहर से (दोनों बार जनता दल के टिकट पर) चुने गए थे।

INLD बीजेपी के साथ कर चुकी है गठबंधन

2003 में जब अजय चौटाला के पिता ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के सीएम थे, तब उनकी पार्टी INLD ने राजस्थान में छह सीटें जीती थीं। 2008 में INLD ने भाजपा के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह सभी चार सीटें हार गईं।

ओम प्रकाश चौटाला के छोटे भाई रणजीत चौटाला ने 2019 के विधानसभा चुनावों में वोटों की गिनती के दौरान भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की थी। रणजीत ने लगभग 20,000 वोटों से चुनाव जीता और उन्हें मनोहर लाल खट्टर सरकार में बिजली, जेल और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग दिए गए।

रणजीत ने भाजपा के प्रति अपने प्यार को कभी नहीं छुपाया। उन्होंने कहा कि मैं भविष्य की राजनीति भाजपा के साथ करूंगा। 2024 का चुनाव (विधानसभा या लोकसभा) भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लड़ने के इच्छुक रणजीत ने पहले द इंडियन एक्सप्रेस से कहा था कि (एक स्वतंत्र विधायक होने के नाते) तकनीकी रूप से मैं इस स्तर पर भाजपा का सदस्य नहीं हो सकता, लेकिन मुझमें और बीजेपी में कोई अंतर नहीं है। मैं बिना किसी शर्त के बीजेपी का समर्थन करूंगा, चाहे पार्टी मुझे चुनाव में उतारे या नहीं। मैं चट्टान की तरह सीएम के साथ खड़ा रहूंगा और भविष्य में भी पार्टी से जुड़ा रहूंगा।

कुलदीप बिश्नोई को बीजेपी ने राजस्थान में दी है बड़ी भूमिका

सूत्रों के मुताबिक रणजीत ने कुलदीप बिश्नोई को भाजपा में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, क्योंकि उन्होंने पिछले साल राज्यसभा चुनाव में कुलदीप को कार्तिकेय शर्मा को वोट देने का सुझाव दिया था। पता चला है कि रणजीत सिंह चौटाला ने कुलदीप से कहा था कि राजस्थान की बिश्नोई बहुल सीटों पर अपने उम्मीदवारों के प्रचार के लिए भेजते समय भाजपा उन्हें पार्टी में उचित भूमिका दे सकती है। राज्यसभा चुनावों में अपने वोट के बारे में पूछे जाने पर, कुलदीप बिश्नोई ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा था कि मैंने अपनी आत्मा की सुनी और अपनी नैतिकता के अनुसार काम किया।

कुलदीप अब बिश्नोई समुदाय को केंद्र सरकार की पिछड़ी जातियों की सूची में शामिल करने की मांग उठा रहे हैं। भजन लाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई इसे बिश्नोई समुदाय की सबसे बड़ी मांग कहते हैं। ताकत दिखाने के लिए कुलदीप हरियाणा और राजस्थान में भी रैली करने के इच्छुक हैं और दोनों जगहों पर अमित शाह को आमंत्रित करना चाहते हैं।