कर्नाटक में बीजेपी ने अपने दो विधायकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। बीजेपी की तरफ से एसटी सोमशेखर और ए शिवराम हेब्बर को पार्टी से निकालने की वजह उनकी तरफ से कथित रूप से अंजाम दी जा रही दल विरोधी गतिविधियों को बताया है।

दोनों नेताओं को बीजेपी से बाहर किए जाने की जानकारी कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने दी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी हाई कमान ने काफी सोच विचारने के बाद यह फैसला लिया। आपको बता दें कि सोमशेखर यशवंतपुर और हेब्बर येल्लापुर विधानसभा से बीजेपी के टिकट पर चुने गए थे।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ये दोनों विधायक कई बार अपने बयानों से पार्टी को शर्मिंदा महसूस करवा चुके थे। सोमशेखर और हेब्बर दोनों साल 2019 में बीजेपी में शामिल हुए थे। ये दोनों उन 14 विधायकों के गुट का हिस्सा थे, जिन्होंने एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिराई थी।

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आइए आपको बताते हैं इन दोनों विधायकों के बारे में…

सोमशेखर – 66 के सोमशेखर ने कांग्रेस पार्टी से अपने सियासी करियर की शुरुआत की। वह यशवंतपुर विधानसभा सीट से तीन बार के विधायक हैं। सोमशेखर पहले सिद्धारमैया के करीबी माने जाते थे। उन्हें साल 2004 में Uttarahalli विधानसभा सीट पर अपने पहले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

परिसीमन के बाद सोमशेखर ने साल 2008 में कांग्रेस के टिकट पर यशवंतपुर से चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गए। इसके पांच साल बाद वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते और फिर 2018 में उन्होंने इस सीट को रिटेन किया। उन्होंने कुमारस्वामी के एक वर्ष के शासन के दौरान बैंगलोर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, उसके बाद 13 अन्य विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए।

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साल 2019 में सोमशेखर ने कर्नाटक उपचुनाव में जीत दर्ज की और उन्हें येदियुरप्पा कैबिनेट में मंत्री बनाया गया। वह बसवराज बोम्मई की सरकार में भी मंत्री बनाए गए। वह 2023 में भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते लेकिन इस बार उनके भगवा दल के साथ संबंध अच्छे नहीं रहे। वह कई मसलों पर विधानसभा में कांग्रेस के साथ खड़े दिखाई दिए।

शिवराम हेब्बर – 68 साल के हेब्बर चार बार के विधयक हैं। वह येदियुरप्पा और बोम्मई सरकार में मंत्री रह चुके हैं। साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले हेब्बर एक सुपारी किसान हैं। 1983 में वे सार्वजनिक रूप से पहली बार तब सामने आए, जब वे येल्लापुरा कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के सदस्य चुने गए जिसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए।

साल 2008 में वे येल्लापुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन हार गए। हालांकि इसके बाद अगले चुनाव में उन्हें जीत मिली। इसके बाद वह इस सीट पर अगले तीन चुनाव भी जीते। वह 2023 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते। हालांकि चुनाव के बाद से ही उनके बीजेपी के साथ मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। वह फरवरी 2024 में राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव में वोट डालने नहीं पहुंचे। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर कन्नड़ से कांग्रेस प्रत्याशी का प्रचार किया।

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