राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा आलाकमान ने पिछली बार के उलट इस बार बिना ‘मुख्यमंत्री चेहरे’ के चुनावी रण में जाने का फैसला लिया है। सूत्रों के हवाले से ऐसी जानकारी मिली है। भाजपा से जुड़े सूत्रों ने बताया, ‘दिल्ली में चुनाव लड़ने के लिए हमारा ‘सीएम फेस’ नहीं होगा।’ उन्होंने कहा, ‘आम आदमी पार्टी ने बड़े पैमाने पर चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है जबकि भाजपा ने दिल्ली में अभी इसकी शुरुआत नहीं की। हम 24 अक्टूबर के बाद प्रचार शुरू करेंगे।’ 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव परिणाम आने हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल के लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के चलते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का पूरा ध्यान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हैं। आप इन दिनों विरोधी पार्टियों से टकराव के बजाय विभिन्न परियोजनाओं और जनता से किए वादों को पूरा करने में जुटी है। मतदान से काफी दिन पहले चुनाव की तैयारी और रणनीति बनाने वाली भाजपा ने दिल्ली में अभी अपना चुनावी अभियान शुरू नहीं किया है। इसकी एक बड़ी वजह पार्टी के भीतर आंतरिक कलह भी है जिसे पार्टी नेता स्वीकार भी करते हैं। नेतृत्व के सामने दुविधा यह थी कि क्या पार्टी को अरविंद केजरीवाल का मुकाबला करने के लिए मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करना चाहिए, मगर राज्य इकाई में बहुत अधिक आंतरिक झगड़े के चलते आलाकमान ने ऐसा करने से परहेज किया।
दिल्ली में भाजपा के कम से कम तीन नेता-केंद्रीय मंत्री हर्ष वर्धन, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल और राज्य पार्टी इकाई प्रमुख मनोज वाजपेयी- ऐसे हैं जो राष्ट्रीय राजधानी में भाजपा के सबसे बड़ी पार्टी बनने पर खुद मुख्यमंत्री बनने का सपना देखते हैं। तीनों नेताओं के समर्थक भी चाहते हैं विधानसभा चुनाव में जाने से पहले आलाकमान उनके नेता को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करे। सूत्रों ने यह भी बताया कि दो अन्य केंद्रीय मंत्री भी मुख्यमंत्री उम्मीदवार की संभावित दौड़ में शामिल हैं। आंतरिक झगड़े भाजपा की दिल्ली इकाई के लिए एक बड़ा मुद्दा रहे हैं, जिसने अतीत में पार्टी के चुनावी प्रदर्शन को प्रभावित किया है।
भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘मगर अब, भाजपा एक कैडर पार्टी है और नेतृत्व बहुत शक्तिशाली है। इसलिए पूरा भरोसा है कि इस समस्या पर नियंत्रण पा लिया जाएगा। इसके अलावा भाजपा नेतृत्व साल 2015 में की गई गलती को दोहराने से परहेज करने की कोशिश में हैं।’
बता दें कि साल 2015 में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार किरण बेदी को बनाया था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद भी भाजपा को दिल्ली में अपमानजनक हार देखनी पड़ी। मुख्यमंत्री उम्मीदवार और देश की पहली महिला आईपीएस रही किरण बेदी तक कृष्णा नगर से चुनाव हार गईं। चुनाव में आप ने 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की।