Road to 2024 for BJP: मई 2022 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की आठवीं वर्षगांठ के बाद भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर आत्मविश्वास से भरी हुई और उत्साहित दिख रही थी। हालांकि, तब से चीजें बदल गई हैं। हाल के घटनाक्रमों से पता चलता है कि पार्टी की रणनीतियां पूर्ण नियंत्रण में नहीं हैं।

आंतरिक सर्वे से संकेत मिलता है कि अधिकांश भाजपा मुख्यमंत्री ज्यादा लोकप्रिय नहीं हैं। पार्टी को 2024 से पहले होने वाले चुनावों में सत्ता बनाए रखने के लिए पीएम मोदी की लोकप्रियता और केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा करना होगा।

पार्टी कर्नाटक के बारे में आश्वस्त नहीं: राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय नहीं होने के बावजूद, कर्नाटक के 79 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को पार्लियामेंट्री बोर्ड में शामिल किया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी को पता है कि लिंगायत नेता का पूरा समर्थन महत्वपूर्ण है, अगर उसे अगले साल विधानसभा चुनाव और 2024 में आम चुनाव में दक्षिण में अधिक से अधिक सीटें जीतनी हैं। भाजपा के एक नेता ने कहा, “इससे पता चलता है कि पार्टी कर्नाटक के बारे में इतना आश्वस्त नहीं है।”

पार्टी ने पंजाब और मध्य प्रदेश से एक सिख चेहरे इकबाल सिंह लालपुरा और एक दलित चेहरे सत्यनारायण जटिया को चुना। मध्य प्रदेश में बीजेपी पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कमजोर हुए पिछड़े समुदायों का समर्थन हासिल करना चाहती है जबकि पंजाब में पार्टी अपना बेस मजबूत करने के लिए बेताब है।

आप के खिलाफ आक्रामक रुख: आम आदमी पार्टी को लेकर बीजेपी ने भी अचानक अपना रुख बदल लिया है। पार्टी अचानक दिल्ली में आबकारी नीति विवाद को लेकर आप के खिलाफ आक्रामक हो गयी है। यह बदलाव गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अगले कुछ महीनों में होने वाले चुनावों से पहले आया है। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अगर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सफल होती है, तो वह मजबूत विपक्षी नेताओं के क्लब में शामिल हो सकते हैं।

कंफर्ट जोन सिकुड़ गए: जिन राज्यों में भाजपा को लोकसभा चुनावों के लिए कड़ा मुकाबला करना है, उनकी संख्या बढ़ रही है। तमिलनाडु (39 सीटें) केरल (20), तेलंगाना (17), आंध्र प्रदेश (25), बिहार (40), पंजाब (13), ओडिशा (21), और पश्चिम बंगाल (42) में 200 से अधिक सीटें हैं। एक भाजपा नेता का कहना है कि कम्फर्ट जोन सिकुड़ गए हैं।

RSS के कार्यकर्ताओं में नाखुशी: इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ताओं में भी नाखुशी के संकेत हैं। जहां कुछ नियुक्तियों, गलतियों और भाजपा नेतृत्व के कुछ फैसलों ने सांघ को नाखुश कर दिया है। वहीं बिलकिस में 11 दोषियों की उम्रकैद की सजा की माफी के हालिया आदेश पर शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी से नेताओं में और भी ज्यादा नाराजगी है।

हालांकि, पार्टी के नेताओं का कहना है कि भाजपा के पास अपनी गलतियों को सुधारने की अद्भुत क्षमता है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “प्रधानमंत्री और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अपनी गलतियों से सीखने में कभी संकोच नहीं किया जो उम्मीद के मुताबिक काम नहीं करती थीं। वे हमेशा सीखते हैं और रणनीतियों को फिर से तैयार करते हैं।”