कर्नाटक के तुमकुरू स्थित सिद्धगंगा मठ के प्रमुख लिंगायत संत 111 वर्षीय शिवकुमार स्वामीजी का सोमवार को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। स्वामीजी द्वारा स्थापित सिद्धगंगा एजुकेशन सोसायटी ने घोषणा की, ‘‘स्वामीजी पूर्वाह्न 11 बजकर 44 मिनट पर अपना नश्वर शरीर छोड़कर स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर गए।’’ इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम नामचीन लोगों ने शोक व्यक्त किया। नरेंद्र मोदी ने जहां वर्ष 2014 में उनसे मुलाकात की थी। वहीं, अमित शाह कर्नाटक चुनाव से पहले संत शिवकुमार से मिले थे। स्वामी जी के चरणों में झुक प्रणाम किया था, एक माला पहनाई थी और एक चुनरी भेंट किया था। मुलाकात के बाद अमित शाह ने कहा था कि उनसे मिलना ईश्वर से मिलने जैसा था। अमित शाह ने कहा था, “आने वाले दिनों में हम चुनाव में जा रहे हैं। स्वामी जी का आशीर्वाद हमारी ताकत बढ़ाने वाला है। हमें हौंसला देने वाला है। हमारी उर्जा बढ़ाने वाला है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपना गुरु मानते हैं। स्वामी जी के निधन के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘परम पूजनीय डॉ. श्री श्री श्री शिवकुमार स्वामीगलु लोगों, खासकर गरीबों एवं कमजोरों, के लिए जिये। उन्होंने गरीबी, भूख और सामाजिक अन्याय जैसी समस्याओं के उन्मूलन की दिशा में खुद को सर्मिपत कर दिया था। दुनिया भर में फैले उनके अनगिनत श्रद्धालुओं के प्रति प्रार्थनाएं एवं एकजुटता।’’ उन्होंने कहा कि स्वामीजी वंचित तबकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाएं सुनिश्चित करने के प्रयासों में आगे रहे और वह करुणामयी सेवा, आध्यात्मिकता एवं वंचितों के अधिकारों का संरक्षण करने की भारतीय परंपरा के प्रतिनिधि रहे।
मोदी ने कहा, ‘‘मुझे श्री सिद्धगंगा मठ जाने और परम पूजनीय डॉ. श्री श्री श्री शिवकुमार स्वामीगलु का आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त है। वहां सामुदायिक सेवा की व्यापक पहल शानदार है और अकल्पनीय रूप से बहुत बड़े पैमाने पर है।’’ वहीं, अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, “उनका जीवन मानवता के लिए एक संदेश था। उन्होंने हमें जो रास्ता दिखाया है, उस पर चलने के लिए हमें शक्ति दें। हमें आशीर्वाद दें। दुख की इस घड़ी में मैं उनके अनुयायियों के प्रति शोक व्यक्त करता हूं।”
मठ की वेबसाइट के अनुसार श्रद्धेय स्वामीजी का जन्म एक अप्रैल 1908 को कर्नाटक के वीरापुरा गांव में हुआ था। स्वामीजी द्वारा स्थापित श्री सिद्धगंगा कालेज आफ एजुकेशन की वेबसाइट पर उनकी जन्मतिथि एक अप्रैल 1907 के तौर पर उल्लेखित है। पद्म भूषण और कर्नाटक रत्न पुरस्कार से सम्मानित स्वामीजी की तबीयत पिछले दो महीने से खराब थी और यकृत संबंधी जटिलताओं को लेकर दो महीने पहले चेन्नई के एक अस्पताल में उनकी सर्जरी की गई थी। (एजेंसी इनपुट के साथ)