Chandrabhanu Paswan vs Ajit Prasad Milkipur by election 2025: शायद ही किसी विधानसभा सीट के उपचुनाव में इतना कड़ा मुकाबला देखने को मिला हो, इतना जबरदस्त प्रचार हुआ हो, जैसा उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर सीट पर देखने को मिला। 8 फरवरी को इस बात का फैसला होना है कि मिल्कीपुर की विधानसभा सीट से कौन सा नेता जीतकर विधानसभा में पहुंचेगा। इस सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच जोरदार घमासान देखने को मिला। दलित युवती के साथ रेप और हत्या के मामले ने इस उपचुनाव के नतीजे को लेकर लोगों की दिलचस्प को और ज्यादा बढ़ा दिया है।
याद दिलाना होगा कि चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और सपा के राज्य स्तरीय नेताओं के अलावा बड़े नेताओं ने भी ताकत लगाई। बीजेपी के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा के लिए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जमकर पसीना बहाया। इसके अलावा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी पार्टी उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान के लिए प्रचार किया।
इसी तरह अखिलेश यादव की पत्नी और सपा सांसद डिंपल यादव ने भी पार्टी उम्मीदवार अजित प्रसाद के लिए रोड शो किया था। बसपा और कांग्रेस के चुनाव मैदान में न होने से ये मुकाबला सीधे-सीधे सपा और बीजेपी के बीच हो गया है।
बीजेपी ने मिल्कीपुर की सीट पर नौ मंत्रियों और पार्टी के 40 विधायकों को तैनात किया था और इन नेताओं ने नवंबर से ही मिल्कीपुर में डेरा डाला हुआ है। मिल्कीपुर सीट पर 5 फरवरी को वोटिंग होगी और 8 फरवरी को नतीजे आएंगे।
आठ बार मिल्कीपुर आए योगी
ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर की सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। योगी आदित्यनाथ ने अक्टूबर से अब तक आठ बार मिल्कीपुर का दौरा किया और इस दौरान कई सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और चुनावी जनसभाओं को भी संबोधित किया।
फैजाबाद में हारी थी बीजेपी
मिल्कीपुर विधानसभा सीट के नतीजों का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी को फैजाबाद (अयोध्या) सीट पर हार का सामना करना पड़ा तो यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। राम मंदिर निर्माण के बाद इस सीट पर बीजेपी की हार अप्रत्याशित मानी जा रही थी। इस सीट से सपा के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की थी।
पिछले साल यूपी में 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में एनडीए गठबंधन को 7 सीटों पर जीत मिली, जबकि 2 सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में गई थीं। इन 7 सीटों में से 6 पर बीजेपी ने जीत हासिल की, जबकि एक सीट उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के प्रत्याशी के हिस्से में गई थी।
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विधायक और सांसद बने अवेधश प्रसाद
2022 के विधानसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद ने मिल्कीपुर सीट से बीजेपी के उम्मीदवार गोरखनाथ को हराया था। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार बनाया था। अवधेश प्रसाद ने फिर से जीत दर्ज की और शायद इस इलाके में अवधेश प्रसाद की लोकप्रियता को देखते हुए ही अखिलेश यादव ने उनके बेटे को मिल्कीपुर उपचुनाव में टिकट दे दिया।
पासी समुदाय के वोटों पर कब्जे की लड़ाई
भले ही अवधेश प्रसाद यहां पर लोकसभा और विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं लेकिन इस बार उन्हें दलित समुदाय के अंतर्गत आने वाले पासी जाति समूह का समर्थन हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। इसकी वजह यह है कि यहां से बीजेपी ने पासी समुदाय से ही आने वाले कार्यकर्ता चंद्रभानु पासवान को उम्मीदवार बनाया है। पिछले दो चुनाव में अवधेश प्रसाद को पासी समुदाय का अच्छा समर्थन मिला था। अवधेश भी पासी समुदाय से ही आते हैं।
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दलित युवती की हत्या को बनाया मुद्दा
मिल्कीपुर के उपचुनाव के बीच दलित युवती की हत्या को लेकर भी माहौल काफी गर्म हो गया। इस मामले में बीजेपी और सपा आमने-सामने हैं। इसे लेकर अवधेश प्रसाद का एक वीडियो भी काफी वायरल हुआ था जिसमें वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में रो पड़े थे।
सपा के अयोध्या जिला अध्यक्ष पारसनाथ यादव बताते हैं कि उनकी पार्टी ने विधानसभा क्षेत्र के गांवों में जाकर इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। सपा का आरोप है कि पुलिस ने दलित लड़की के परिवार की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई नहीं की और इसे लेकर दलित समुदाय नाराज है।
पारसनाथ यादव का कहना है कि बीजेपी ने मिल्कीपुर में बाहरी नेता को टिकट दिया है। उनका आरोप है कि बीजेपी के उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान रुदौली सीट से आते हैं और गुजरात में कारोबार करते हैं। इसके अलावा सपा ने महाकुंभ के भगदड़ में हुई मौतों और बढ़ती बेरोजगारी को को भी मुद्दा बनाया है।
चंद्रभानु पासवान का कहना है कि वे जनता की भलाई के लिए चलाई जा रही राज्य सरकार की योजनाओं के आधार पर वोट मांग रहे हैं।
मिल्कीपुर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण
मिल्कीपुर सीट पर करीब 3.60 लाख मतदाता हैं। इसमें से 1.25 लाख दलित मतदाता (जिनमें से 65-70 हजार पासी समुदाय से हैं), 60-65 हजार ब्राह्मण और 50-55 हजार यादव शामिल हैं। चौरसिया, मौर्य, विश्वकर्मा और चौहान जैसे ओबीसी समुदायों में करीब 30 हजार मतदाता हैं, जबकि मुस्लिम और ठाकुर मतदाता क्रमशः 30 हजार और 18 हजार हैं।
कौन-कौन से हैं बड़े इलाके?
इस सीट में तीन ब्लॉक- अमानीगंज, हेरिंग्टनगंज और मिल्कीपुर आते हैं। हेरिंग्टनगंज में यादव मतदाता ज्यादा हैं, जबकि मिल्कीपुर ब्लॉक में सभी समुदायों की मिश्रित आबादी है। पासी समुदाय की आबादी सभी तीन ब्लॉक में है।
इस सीट के प्रमुख इलाकों में जालिम का पुरवा, हरपाल का पुरवा, पंडियन का पुरवा, सैथरी, बिशुनपुर और धमथुआ जैसे कई पासी बहुल गांव आते हैं। यहां के मतदाता खुलकर नहीं बताते कि वे किसे वोट देंगे। देखना होगा कि मिल्कीपुर के मतदाता किसे अपना विधायक चुनेंगे।
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