भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी पर अब विपक्षी दल निशाना साध रहे हैं। शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अभी तक हो नहीं सका है। ये बात तो सच है। नाम को लेकर पार्टी एकमत नहीं हो पा रही है। ये पार्टी देश चला रही है और अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पा रही है।”
शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने मीडिया से बातचीत में कहा, “ये क्या मामला है इस बारे में किसी को नहीं पता है। आप चुनाव आयुक्त को बदल सकते हो, आप सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति को बदल सकते हो, आप किसी को भी बदल सकते हो। आप देश के उपराष्ट्रपति को घर में भेज सकते हो। लेकिन आपकी पार्टी अपनी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन नहीं कर सकती है। ये क्या मामला है, ये देश को पता होना चाहिए। आप कल राष्ट्रपति को भी घर में भेज देंगे। जैसे कि धनखड़ साहब को भेजा गया है। लेकिन आप अपनी पार्टी का अध्यक्ष नहीं चुन सकते हो।
क्या कहता है बीजेपी का संविधान?
बीजेपी के संविधान के मुताबिक, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए यह जरूरी है कि कम से कम आधे राज्यों में (या फिर 18 राज्यों में) प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो जाए और इससे पहले पार्टी के बूथ, मंडल और जिला कमेटियों के चुनाव भी हो जाने चाहिए। बीजेपी के अंदर यह परंपरा है कि सभी स्तर पर यानी बूथ, मंडल और जिला स्तर के साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए भी सर्वसम्मति बनाई जानी चाहिए।
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जगत प्रकाश नड्डा जनवरी 2020 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे और उनका कार्यकाल जनवरी 2023 में खत्म होने वाला था। 2024 के लोकसभा चुनावों और उसी साल बाद में होने वाले जम्मू-कश्मीर के अलावा हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में विधानसभा चुनावों के कारण इसे बढ़ा दिया गया था।
इन नामों की चल रही चर्चा
ऐसी अटकलें लगाई जा रही है कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, मनोहर लाल खट्टर, भूपेन्द्र यादव, शिवराज सिंह चौहान, अर्जुन राम मेघवाल, प्रह्लाद जोशी, नितिन गडकरी और जी किशन रेड्डी का नाम संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट में है। इनके अलावा, आंध्र प्रदेश बीजेपी प्रमुख दग्गुबाती पुरंदेश्वरी, वनाथी श्रीनिवासन, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डॉ दिलीप जयसवाल, सुनील बंसल, तरुण चुघ और विनोद तावड़े भी चर्चा में शामिल हैं।