इन नतीजों के साथ देश के 16 राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगी सत्ता में आ गए हैं। इन राज्यों में देश की करीब 49.3 फीसद आबादी रहती है। कांग्रेस और सहयोगियों की अब छह राज्यों में सरकार है। हिमाचल, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की अकेले सरकार है। तीन अन्य राज्यों में कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा है। इन राज्यों में देश की आबादी का कुल 26 फीसद हिस्सा रहता है।
गुरुवार को पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के नतीजे आए। त्रिपुरा में भाजपा अकेले तो नगालैंड में सहयोगी एनडीपीपी के साथ सत्ता में वापसी करेगी। मेघालय में कोनराड संगमा की अगुवाई वाली सत्ताधारी एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वह सत्ता से महज कुछ ही कदम दूर है। वहां भाजपा ने उनका साथ देने की पेशकश की है।
पूर्वोत्तर में भारत में आठ राज्य आते हैं। इनमें त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय, असम, अरुणाचल, मणिपुर, सिक्किम और मिजोरम शामिल हैं। त्रिपुरा और नगालैंड में भाजपा गठबंधन ने पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है, जबकि मेघालय में एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
इससे पहले दिसंबर में दो राज्यों- गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव हुए थे। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रही, लेकिन हिमाचल में भाजपा रिवाज नहीं बदल पाई और सत्ता से बाहर हो गई। पांच महीने के अंदर ये दूसरा राज्य था, जहां की सत्ता भाजपा के हाथ से चली गई।
इस साल अभी छह राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। कर्नाटक में साल के मध्य में चुनाव तय हैं। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना में साल के अंत में चुनाव होने हैं। अभी कर्नाटक, त्रिपुरा और मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस जबकि तेलंगाना में टीआरएस की सरकार है।
वर्ष 2024 में लोकसभा और सात राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होंगे। इनमें सिक्किम, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड शामिल हैं। अभी हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार है। ओडिशा में बीजद, आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी की सरकार है। इन चुनावों में भाजपा के सामने बड़ी चुनौती यह है कि जहां वह सरकार में है, उसे कायम रखना और जहां वह विपक्ष में है, वहां जीत हासिल करना।
मई 2014 में नरेंद्र मोदी सत्ता में आए। तब देश के सात राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकारें थीं। इनमें पांच राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्री थे। तब आंध्र प्रदेश और पंजाब में उसकी सहयोगी पार्टी सरकार चला रही थी। इन दो राज्यों में देश की छह फीसद से ज्यादा आबादी रहती है। बाकी पांच राज्यों छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा के मुख्यमंत्री थे।
इन राज्यों में देश की 19 फीसद से ज्यादा आबादी रहती है। जाहिर है, मई 2014 में करीब 26 फीसद आबादी पर भाजपा और सहयोगियों की सरकारें चल रही थीं। तब देश के 14 राज्यों में कांग्रेस और उसके सहयोगी पार्टियों की सरकार थी। कांग्रेस शासित इन राज्यों में देश की 37 फीसद से ज्यादा आबादी रहती है। इन राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे बड़े राज्य शामिल थे।
चार साल के भीतर मार्च 2018 में 21 राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकारें थी। इन राज्यों में देश की करीब 71 फीसद आबादी रहती है। यह वो दौर था, जब भाजपा शासन आबादी के लिहाज से पीक पर था। वहीं, चार राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी। इन राज्यों की सात फीसद आबादी रहती है।
आम चुनावों के पहले देश में होने वाले हर चुनाव को लोकसभा चुनाव के लिए सेमीफाइनल माना जाता है। पूर्वोत्तर में भाजपा की सफलता ने विपक्ष के लिए सबक छोड़ा है। भाजपा को आक्सीजन मिला है और यह संदेश सामने आया है कि विपरीत परिस्थितियों वाले माहौल में चुनाव जीता जा सकता है। जरूरत पड़ने पर पार्टी अपने कट्टर कुछ सिद्धांतों से समझौता करने को तैयार दिखी। उदाहरण के लिए, पूर्वोत्तर के भाजपा नेताओं ने मांस खाने पर बातें रखीं और पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व खामोश रहा।
विकास का सिक्का चला। हवाई अड्डे, नई रेललाइनें, शानदार ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे आदि से पूर्वोत्तर का चेहरा बदला है। यह देश के अन्य हिस्सों में भी चल रहा है- मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेसवे, बुलेट ट्रेन, एम्स-आइआइटी की बढ़ती संख्या आदि परियोजनाओं से भाजपा को लाभ मिल रहा है। पूर्वोत्तर में चीन सीमा तक सड़कें और मुस्तैदी बढ़ाने का भी अच्छा संकेत गया है।