बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार को कड़ी फटकार लगाई। अदालत का कहना था कि बिलकिस मामले के दोषियों को छोड़ने से पहले सरकार ने उनके किए अपराध को ध्यान में क्यों नहीं रखा। वो केवल हत्या जैसे मामले में नामजद नहीं थे बल्कि रेप के साथ समूहिक हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए थे। जज का कहना था कि सरकार आम से संतरे की तुलना कैसे कर सकती है।

केंद्र और गुजरात सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलीसिटर जनरल ने दलील दी कि अदालत दोषियों की तरफ नहीं देख रही है। वो 15 साल तक जेल में रहे। उनका जवाब सुनने के बाद जस्टिस ने जो बात कही उसे सुनकर एएसजी की बोलती बंद हो गई। जस्टिस ने कहा कि 15 साल में से तीन साल से ज्यादा तो वो पैरोल पर रहे थे। उनकी बात पर सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने चुटकी लेते हुए कहा कि सारे दोषी छुट्टी मना रहे थे।

जस्टिस बोले- ऐसे जघन्य मामले के दोषियों को रिहा करने से समाज पर होता है गलत असर

बिलकिस बानो की तरफ से हत्या व रेप के मामले के 11 दोषियों को रिहा करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई की। गुजरात और केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलीसिटर जनरल एएस राजू पेश हुए। जस्टिस जोसेफ ने उनसे पूछा कि अगर केंद्र ने दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था तो क्या गुजरात सरकार की ड्यूटी नहीं थी जो दिमाग लगाए।

उनका कहना था कि ऐसे जघन्य मामलों के दोषियों को रिहा करते समय ये तो ध्यान रखा जाना चाहिए कि फैसले का समाज पर क्या असर पड़ेगा। जस्टिस का कहना था कि आज बिलकिस के साथ ये सब कुछ हुआ। कल हो सकता है कि ये आपके साथ हो या फिर उसकी जगह पर हम भी हो सकते हैं।

2 मई को होगी अगली सुनवाई, सरकार को निर्देश दोषियों की रिहाई से जुड़ी फाइल पेश करे

जस्टिस जोसेफ ने जवाबदेह पक्षों को आदेश दिया कि वो दोषियों को रिहा करने के फैसले से जुड़ी फाइलें उनके सामने पेश करें। अदालत ने ये भी कहा कि 1 मई तक वो जवाबी हलफनामे भी दाखिल करें। मामले की सुनवाई 2 मई को की जाएगी। तब रिव्यू पटीशन पर भी सुनवाई की जाएगी। बिलकिस के सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 को जेल से रिहा किया गया था। उसके बाद सभी का ऐतिहासिक स्वागत किया गया था। गुजरात सरकार की अपील पर केंद्र ने अपनी रजामंदी दी थी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों को रिहा करने पर सहमति जताई थी।