Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो (Bilkis Bano) की पैरवी कर रहे एडवोकेट को सुप्रीम कोर्ट ने उस समय तीखी फटकार लगा दी जब उन्होंने केस को जल्दी लिस्ट करने की मांग करनी जारी रखी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि बार-बार ऐसी अपील की क्या तुक है जब कोर्ट ने बीते दिन ही मामले को लिस्ट करा दिया था। ये अलग बात है कि बेंच की एक जज ने खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया।

गुजरात दंगों के आरोपियों को छोड़ने के फैसले के खिलाफ बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पटीशन दाखिल की है। उनकी तरफ से एडवोकेट शोभा गुप्ता मामले की पैरवी कर रही हैं। उनका कहना था कि बिलकिस की याचिका कल रजिस्टर तो हो गई थी। लेकिन उस पर कब सुनवाई होगी ये तय नहीं हो पा रहा है। एक जज ने खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है। सीजेआई चंद्रचूड़ के सामने जब उन्होंने बार-बार ये बात कही तो वो गुस्से में आ गए। उनका कहना था कि बार बार ये बात कहने का क्या मतलब है। ये मुड़ खराब करने वाली दलील है।

बिलकिस ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील की है, जिसमें शीर्ष अदालत ने 11 दोषियों को छोड़ने का फैसला इसी साल किया था। कोर्ट ने गजरात सरकार की उस अपील पर गौर करते हुए ये फैसला किया था जिसमें 1992 के एक्ट के तहत सभी को रिहा करने की मांग की गई थी। इन सारे लोगों पर बिलकिस से रेप के साथ उसके परिवार के लोगों की हत्या कास आरोप है।

सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस की रिव्यू पटीशन पर जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की बेंच को सुनवाई करनी थी। लेकिन जस्टिस त्रिवेदी ने खुद को ये कहते हुए सुनवाई से अलग कर लिया कि वो गुजरात सरकार के तहत काम कर चुकी हैं। लिहाजा उनके लिए इस मामले की सुनवाई करना ठीक नहीं होगा। उधर बिलकिस का कहना है कि दोषियों को रिहा करने के मामले में महाराष्ट्र सरकार की Remission policy को लागू करना ताहिए न कि गुजरात सरकार की 1992 की पालिसी को। बिलकिस के आरोपियों को 13 मई को रिहा करने का फैसला सुनाया गया था।