उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक मजार में तोड़फोड़ और चादर जलाने की घटना सामने आने के बाद माहौल एक बार फिर गर्माता नजर आ रहा है। मामले में पकड़े गए दोनों आरोपी भगवा कपड़ों में थे और साफा पहना हुआ था। इनकी पहचान कमाल और आदिल के रूप में हुई है।

इस मुद्दे पर हो रही एक टीवी डिबेट में राजनीतिक विश्लेषक संगीत रागी ने कहा कि अभी सूफी और पसमांदा मुसलमान इन तालिबानियों के साथ खड़े नहीं होंगे, लेकिन कल जब आप मजारें जलाएंगे और सूफियों की दरगाहों पर ये करेंगे, तब कहेंगे कि देखिए हिंदू कितना कट्टर है इनके खिलाफ संघर्ष करो। तो एक तरह से जिहाद को गति देने के लिए भी यह काम किया गया हो सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि बड़े-बड़े मंदिरों में सरकार को इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि कोई मुस्लिम आदमी हिंदू आधार कार्ड या पहचान पत्र बनाकर तो मंदिर में प्रवेश नहीं कर रहा है। सरकार को इस पर सचेत होना चाहिए।

रागी ने कहा, “काशी के अंदर शिवलिंग मिलने के बाद भारत में अयोध्या जैसा नवजागरण शुरू हुआ था। हिंदू समाज में फिर से अयोध्या जैसी अनुभूति आई थी और हिंदू समाज फिर से अपने मंदिरों को, जो मुस्लिम आक्रांताओं के कारण तोड़ दिए गए थे, उन्हें रिक्लेम करना शुरू किया था। नूपुर शर्मा की घटना के बाद मुस्लिम समाज का वो हिस्सा जिसे कट्टर, जिहादी या तालिबानी मानसिकता वाला मुसलमान कहते हैं। वो टेरर और डर पैदा करके इस सारे विमर्श को रोक देना चाहता है।”

वहीं, डिबेट में मौजूद इस्लामिक स्कॉलर ने मॉब लिंचिंग का जिक्र करते हुए संगीत रागी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि आदिल कमाल हो या कोई भी कमाल हो हम ऐसे लोगों का समर्थन करने का काम कतई भी नहीं करेंगे, जैसे मॉब लिंचर को माला पहनाने का काम मंत्री जी ने किया।

उन्होंने आगे कहा कि हम कतई भी ऐसे लोगों के समर्थन में तिरंगा यात्रा नहीं निकालेंगे, जैसा कठुआ में दुष्कर्मियों के समर्थन में तिरंगा यात्रा हिंदु संगठनों ने निकाली। जमई ने कहा कि दंगा फैलाने वाले या शांति को भंग करने वाले किसी भी एलीमेंट के समर्थन में शोएब जमई ना खड़ा हुआ है ना खड़ा होगा।