विपक्षी दलों ने रविवार को बिहार विधानसभा चुनाव में राजद-जदयू-कांग्रेस महागठबंधन की जीत को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए कहा कि बिहार की जनता ने साम्प्रदायिकता समेत तमाम हथकंडों को वोट की शक्ति से नाकाम कर दिया। राज्य विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) तथा विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा ‘‘बिहार का चुनाव परिणाम ऐतिहासिक है, जिसने भाजपा और मोदी के नेतृत्व में जो साम्प्रदायिक शक्तियां जहर का बीज बोकर सौहार्द तोड़ रही थी, उन्हें बिहार की जनता ने करारी शिकस्त दी है।’’

उन्होंने कहा ‘‘बिहार की जनता ने वोट की शक्ति से भाजपा जैसे साम्प्रदायिक सांप के फन को कुचला है। यह दिल्ली के बाद भाजपा की दूसरी हार है लेकिन उसने उससे सबक नहीं लिया। बिहार का चुनाव तो सीधे मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया था। उन्होंने वहां 40-50 रैलियां की, लेकिन उसके बावजूद जनता ने जिस तरह उन्हें नकारा है, उसके बाद मोदी को मनन करना होगा।’’

बसपा नेता ने कहा ‘‘लालू और नीतीश की विजय लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत है। मोदी जी ने देश की जनता से लुभावने वादे किये थे जिन्हें पूरा करने में वह बुरी तरह विफल रहे। आखिर में भाजपा के पास हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण करना ही अंतिम हथियार रह गया था, उसे जनता ने नकार दिया।’’

इस बीच, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष निर्मल खत्री ने कहा कि यह जीत बिहार की उस जनता की विजय है जिसने प्रधानमंत्री मोदी के झूठे वादों, अनर्गल बयानबाजी, असहिष्णुता की पराकाष्ठा, जनता के हितों की अनदेखी, सत्ता के अहंकार और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को चकनाचूर कर दिया है। खत्री ने आरोप लगाया कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती ने बिहार में भाजपा की जीत के लिये हर तरह के हथकंडे अपनाये लेकिन बिहार ने उन्हें नकार दिया।

इस बीच, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के लिये अपने समधी राजद प्रमुख लालू यादव और जदयू नेता नीतीश कुमार को बधाई दी।

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने यहां बताया ‘‘नेताजी (मुलायम) ने नीतीश और लालू जी को फोन करके उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव में जीत की बधाई दी।’’ इसके अलावा सपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा पार्टी के वरिष्ठ नेता काबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने भी बिहार चुनाव में महागठबंधन की जीत पर बधाई दी।

मालूम हो कि सपा ने बिहार विधानसभा चुनाव से ऐन पहले जदयू, राजद तथा अन्य सहयोगियों के महागठबंधन से नाता तोड़कर अलग चुनाव लड़ा था लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत सकी।