Bihar SIR Or Sindoor: क्या बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) ऑपरेशन सिंदूर से ज्यादा जरूरी है? इस मानसून सत्र में विपक्ष की सबसे बड़ी दुविधा यही है, क्योंकि उसे तूफान और गहरे समुद्र के बीच चुनाव करना है।

टीवी चैनल न्यूज18 ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के शीर्ष सूत्रों के हवाले से बताया है कि ऑपरेशन सिंदूर महत्वपूर्ण है, लेकिन एसआईआर पर चर्चा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, अगर ऐसा नहीं होता है तो इससे लोगों के अधिकारों को ठेस लगेगी।

राजनीतिक रूप से देखें तो बिहार और बंगाल में होने वाले चुनावों को देखते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को लगता है कि यदि सरकार को एसआईआर के मुद्दे पर घेरा नहीं गया, तो इससे उनके मूल वोट बैंक को नुकसान पहुंच सकता है।

मानसून सत्र के पहले हफ्ते के आखिरी कुछ दिनों में इंडिया ब्लॉक एसआईआर के खिलाफ लड़ाई में एकजुट रहा। काली पट्टियां बांधकर और पोस्टर लेकर यह शक्ति प्रदर्शन का एक दुर्लभ उदाहरण था। लेकिन इंडिया ब्लॉक के भीतर चिंता यह है कि एसआईआर सिर्फ बिहार और बंगाल तक सीमित न रह जाए।

विपक्ष की दुविधा क्या है?

यह एक दुविधा वाली स्थिति है। अगर विपक्षी दलों ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का बहिष्कार किया या हंगामा किया, तो विपक्ष पर देशद्रोही होने का ठप्पा लग जाएगा।

राहुल गांधी, जो मुख्य वक्ताओं में से एक होंगे। वो सरकार को दो मुद्दों पर घेरना चाहते हैं – पहला, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बार-बार यह दावा कि उन्होंने पाकिस्तान और भारत के बीच सीजफायर की मध्यस्थता की थी। दूसरा, पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादी कहां हैं? कांग्रेस यह मौका नहीं छोड़ना चाहेगी, लेकिन टीएमसी और आरजेडी के लिए SIR ज़्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा है।

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एक और चिंता की बात है। सूत्रों ने बताया कि आम आदमी पार्टी (आप) जैसी कुछ पार्टियां ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री को मंच देने के लिए उत्सुक नहीं थीं। उन्होंने पूछा कि जब प्रधानमंत्री ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हैं, तो उनका व्यापक प्रभाव पड़ता है और विपक्ष पीछे के दरवाजे से फंस सकता है। हम उन्हें ऐसा करने की अनुमति क्यों दें? लेकिन इसके लिए बहुत देर हो चुकी है, क्योंकि कार्य मंत्रणा परिषद ने पहले ही लोकसभा और राज्यसभा में बहस के लिए समय आवंटित कर दिया है।

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इसके अलावा, चर्चा की अनुमति न देना मतदाताओं को यह समझाने के लिए कठिन हो सकता है कि विपक्ष इस मुद्दे पर बहस से क्यों भाग रहा है, जिससे सरकार को भी नुकसान पहुंचने की संभावना है, यदि वह यह कहानी आगे बढ़ा सके कि सरकार अमेरिकी दबाव में झुक गई।

इस बीच, भाजपा यह सवाल पूछ सकती है कि यदि विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष सत्र बुलाने पर जोर दे रहा था, तो अब इस विषय पर बहस की अनुमति क्यों नहीं दी गई?

इस दुविधा ने विपक्ष को विभाजित कर दिया है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय लेने के लिए सोमवार सुबह इंडिया गठबंधन की बैठक होगी। उसमें तय होगा कि ऑपरेशन सिंदूर और बिहार SIR में से किसे चुना जाए। इसको विपक्ष के लिए चुनना काफी कठिन है। वहीं, आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि भारत को सोने की चिड़ियां नहीं, शेर बनना है। पढ़ें…पूरी खबर।