बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को घोषित सीटों के बंटवारे में जीतन राम मांझी की पार्टी हम और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी को बेहतर सीट हिस्सेदारी मिलने से खिन्न राजग के घटक लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ बैठकों के बाद मंगलवार को सहमति का स्वर व्यक्त किया। हालांकि यह भी कहा कि आग के बिना धुंआ नहीं उठता है।
लोजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी में ऐसा महसूस किया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी को बेहतर पेशकश मिली जो राज्य में इनके राजनीतिक रसूख से अधिक है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे की घोषणा की थी। जिसके तहत यह तय हुआ है कि 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव में भाजपा 160 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जबकि लोजपा 40 सीट पर, आरएलएसपी 23 सीट और हम 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने संवाददाताओं से कहा कि कोई नाराजगी नहीं है। लेकिन राजग के घटकों में सीटों के बंटवारे के फार्मूले को लेकर मतभेद था और हमें बताई गई बातों और सोमवार की घोषणा के बीच भिन्नता थी।
इसलिए हम सकते में आ गए। हम नाराज नहीं है लेकिन निश्चित तौर पर पार्टी में चिंताएं हैं। हम स्तब्ध थे। आग लगे बिना धुंआ नहीं उठता है।
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केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे और सांसद चिराग पासवान की सोमवार देर रात भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ मतभेदों को दूर करने के लिए बैठक हुई थी। चिराग पासवान ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष ने उनसे कहा कि गठबंधन धर्म की कुछ मजबूरियां होती हैं और वे जितना संभव हो सकेगा, उतना लोजपा की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करेंगे। हमने भाजपा अध्यक्ष को अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है । हम इस बात से खुश हैं कि हमारी चिंताओं का सम्मान किया गया है और हम समाधान की ओर बढ़ रहे हैं।
मंगलवार सुबह केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोजपा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद मतभेद जारी रहने की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि राजग में पासवान के सुझावों का उचित सम्मान होता है। उन्होंने कहा- रामविलास पासवानजी बड़े कद के नेता हैं। राजग के सभी घटक मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन की जीत सुनिश्चित करेंगे। ऐसी कोई मांग नहीं थी (और सीटों के बारे में)। किसी ने ऐसी कोई बात नहीं कही।
बहरहाल खुद रामविलास पासवान ने इस मुद्दे पर कुछ कहने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वे इन मुद्दों पर मीडिया से बात नहीं करते और इस विषय को अपने बेटे पर छोड़ दिया है। राजग गठबंधन के यथावत बने रहने पर जोर देते हुए चिराग ने कहा कि उनकी पार्टी कुशवाहा की आरएलएसपी या मांझी की हम को ज्यादा सीटें मिलने के खिलाफ नहीं है और वे परिवार की तरह हैं।
कोई कारण नहीं है। चाहे सीटों की संख्या का विषय हो या कुछ और हो। जिसके कारण लोजपा को भाजपा से अलग होना पड़े। मांझीजी के साथ भी विवाद का कोई सवाल नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी को किसी फार्मूले के तहत सीट नहीं दी जा सकती है क्योंकि वे न तो पहले लोकसभा और न ही विधानसभा चुनाव साथ में लडे हैं।
लोजपा नेता ने कहा कि उन्हें जितनी सीटें मिली हैं, वे उससे खुश हैं। उनकी चिंता इस बात को लेकर थी कि लोजपा को उसी फार्मूले के आधार पर सीटें मिलनी चाहिए जिसपर आरएलएसपी को 23 सीटें मिली हैं। लोजपा अप्रसन्न नहीं है और कुशवाहा को 23 सीटें मिलने से भी नाखुश नहीं है।
उन्होंने याद दिलाया कि सीटों के बंटवारे की घोषणा से पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लोजपा प्रमुख को फोन किया था क्योंकि उन्हें भी लगता था कि कुछ मुद्दें हैं जिन पर एक या दो दौर के विचार विमर्श की जरूरत है। बकौल चिराग उनकी चिंताओं का सम्मान किया गया है और वे समाधान की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन इसके बारे में उन्होंने कुछ भी विस्तार से बताने से इनकार किया।