बिहार विधानसभा चुनाव के लिए घोषित सीटों के बंटवारे से खिन्न राजग के घटक लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ बैठकों के बाद आज सहमति के स्वर व्यक्त किया और साथ ही कहा कि आग के बिना धुंआ नहीं उठता है।
लोजपा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई नाराजगी नहीं है लेकिन राजग के घटकों में सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले को लेकर मतभेद था और हमें बताई गई बातों और कल की घोषणा के बीच भिन्नता थी। इसलिए हम सकते में आ गए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हम नाराज नहीं है लेकिन निश्चित तौर पर पार्टी में चिंताएं हैं। हम स्तब्ध थे। आग लगे बिना धुंआ नहीं उठता है।’’
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र और सांसद चिराग पासवान की सोमवार देर रात भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ मतभेदों को दूर करने के लिए बैठक हुई थी।
चिराग पासवान ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष ने उनसे कहा कि गठबंधन धर्म की कुछ मजबूरियां होती हैं और वह जितना संभव हो सकेगा, उतना लोजपा की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ हमने भाजपा अध्यक्ष को अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है। हम इस बात से खुश हैं कि हमारी चिंताओं का सम्मान किया गया है और हम समाधान की ओर बढ़ रहे हैं।’’
आज सुबह केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने लोजपा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद मतभेद जारी रहने की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि राजग में पासवान के सुझावों का उचित सम्मान होता है। उन्होंने कहा, ‘‘ राम विलास पासवानजी बड़े कद के नेता हैं।’’ उन्होंने कहा कि राजग के सभी घटक मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन की जीत सुनिश्चित करेंगे।’’
प्रधान ने कहा, ‘‘ ऐसी कोई मांग नहीं थी (और सीटों के बारे में)। किसी ने ऐसी कोई बात नहीं कही। बहरहाल, रामविलास पासवान ने इस मुद्दे पर कुछ कहने से इंकार किया। उन्होंने कहा कि वह इन मुद्दों पर मीडिया से बात नहीं करते और इस विषय को अपने पुत्र पर छोड़ दिया।
लोजपा सूत्रों ने कहा कि पार्टी में ऐसा महसूस किया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और उपेन्द्र कुशवाहा की आरएलएसपी को बेहतर पेशकर मिली जो राज्य में इनके राजनीतिक रसूख से अधिक है।
राजग गठबंधन के यथावत बने रहने पर जोर देते हुए चिराग ने कहा कि उनकी पार्टी कुशवाहा की आरएलएसपी या मांझी की हम को इतनी सीटें मिलने के खिलाफ नहीं है और वे परिवार की तरह हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कोई कारण नहीं है, चाहे सीटों की संख्या का विषय हो या कुछ और हो, जिसके कारण लोजपा को भाजपा से अलग होना पड़े। मांझीजी के साथ भी विवाद का कोई सवाल नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी को किसी फार्मूले के तहत सीट नहीं दी जा सकती है क्योंकि वे न तो पहले लोकसभा और न ही विधानसभा चुनाव साथ में लड़े हैं।’’
लोजपा नेता ने कहा, ‘‘उन्हें जितनी सीटें मिली हैं, हम उससे खुश हैं। हमारी चिंता इस बात को लेकर थी कि लोजपा को उसी फॉर्मूले के आधार पर सीटें मिलनी चाहिए जिसपर आरएलएसपी को 23 सीटें मिली हैं।’’
चिराग ने इसके साथ ही कहा कि लोजना अप्रसन्न नहीं है और कुशवाहा को 23 सीटें मिलने से भी नाखुश नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि सीटों के बंटवारे की घोषणा से पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लोजपा प्रमुख को फोन किया था क्योंकि उन्हें भी लगता था कि कुछ मुद्दें हैं जिनपर एक या दो दौर के विचार विमर्श की जरूरत हैं।
चिराग ने कहा कि हमारी चिंताओं का सम्मान किया गया है और हम समाधान की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन इसके बारे में कुछ भी बताने से इंकार किया।
यह पूछे जाने पर कि क्या लोजपा के कुछ उम्मीदवार भी भाजपा के चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे, चिराग ने इसका ‘न’ में जवाब दिया। लोजपा सूत्रों ने बताया कि हम के राजग में शामिल होने से पहले भाजपा की ओर से यह प्रस्ताव आया था कि वह राज्य की 243 सीटों में से 75 प्रतिशत पर चुनाव लड़ेगी और शेष सीटें लोजपा और आरएलएसपी को मिलेंगी।
भाजपा की ओर से एक और प्रस्ताव आया था कि 2014 के लोकसभा चुनाव के अनुरूप उन्हें प्रत्येक लोकसभा सीट के हिसाब से छह विधानसभा सीटें मिलेंगी। इस व्यवस्था के तहत लोजपा को 42 सीटें और आरएलएसपी को 18 सीटें मिलतीं।
लोजपा सूत्रों ने बताया कि जब हमें राजग में शामिल करने का निर्णय किया गया था तब यह तय हुआ था कि नई प्रवेश करने वाली पार्टी को 12 सीटें मिलेंगी। इसके अनुरूप तय हुआ कि भाजपा अपने कोटे में से नौ सीटें मांझी की पार्टी को देगी जबकि लोजपा को दो और आरएलएसपी को एक सीट देगी। इस तरह से लोजपा को 40 सीट, आरएलएसपी को 17 सीट और हम को 12 सीट मिलती।
लोजपा की इस बात पर भी आपत्ति है कि जदयू के कुछ वर्तमान और पूर्व विधायक जिन्होंने पहले पासवान की पार्टी को छोड़ दिया था, वे हम के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं।