पटना के 5 देशरत्न मार्ग पर स्थित बंगले की मरम्मत के मामले में राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार की सरकार ने क्लीन चिट दे दिया है। हालांकि, इससे पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने तेजस्वी यादव पर बंगले की मरम्मत के नाम पर सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक शुक्रवार को निर्माण विभाग के सचिव चंचल कुमार ने कहा कि सरकार धन का इस्तेमाल अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग वक्त में किया गया और यह तय मानक से अधिक भी नहीं है।
चंचल कुमार का कहना है, “तेजस्वी यादव को मिले बंगले पर मानक से ज्यादा पैसे खर्च करने के मामले में कोई भी जांच अमल में नहीं लाई गई है। बंगले पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन अलग मद और अलग समय में किए गए हैं। यदि ये धन एक साथ खर्च किए गए होते तब इसे कैबिनेट या वित्त विभाग की अनुमति लेनी पड़ती। इसमें कोई भी अतिरिक्त धन खर्च नहीं किया गया है।” गौरतलब है कि यह बंगला मुख्यमंत्री के आधिकरिक निवास के बगल में है। 2015 में यह बंगला तेजस्वी यादव को आवंटित किया गया था। लेकिन, जेडीयू और आरजेडी गठजोड़ के खत्म होने के बाद नई सरकार में यह बंगला बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी को 2017 में मिला।
जब फरवरी माह में सुशील मोदी बंगले में रहने गए तब उन्होंने इसकी साज-सज्जा पर अधिक धनराशि खर्च करने का आरोप तेजस्वी यादव पर लगाया। उन्होंने कहा था, ” मुझे लगा मानो मैं किसी 7-स्टार होटल में आ गया हूं। मैं बंगले की फर्निशिंग और आलीशान साज-सज्जा देखकर आश्चर्य-चकित रह गया। यहां तक कि प्रधानमंत्री का भी बंगला इतना आलीशान नहीं होगा, जितना की यह है। जो व्यक्ति यहां रह रहे थे, उन्हें लगा था कि वह हमेशा के लिए रहने आए हैं। बंगले पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं।” गौरतलब है कि इस बंगले को तेजस्वी छोड़ना नहीं चाहते थे। जब उन्हें बंगला खाली करने का नोटिस भेजा गया, तब उन्होंने अदालत का रुख कर लिया।
लेकिन, अक्टूबर 2018 में पटना हाईकोर्ट ने उन्हें बंगला खाली करने का आदेश दिया। इसके बाद तेजस्वी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने 50000 रुपये जुर्माना के साथ हाईकोर्ट के आदेश को कायम रखा और तेजस्वी को बंगला छोड़ना पड़ा।

