तीन दिन पहले बिहार के नवादा जिले में हुई आगजनी और हिंसा के बाद अब हालात सामान्य हो रहे हैं और घटना की परतें खुल रही हैं। गांव के मिथिलेश मांझी की झोपड़ी में बुझे हुए मिट्टी के चूल्हे पर रखे रोटी के टुकड़े यह बताते हैं कि बुधवार शाम को जब कृष्णा नगर गांव में लोगों के एक समूह ने 34 घरों में आग लगाई, तो परिवार को कितनी तेजी से भागना पड़ा। इस घटना में मांझी समुदाय के 25 परिवार और रविदास समुदाय के 9 परिवार (दोनों अनुसूचित जाति के) के घर पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट हो गए हैं। पुलिस ने मामले में नंदू पासवान समेत 15 लोगों को गिरफ्तार किया है। नवादा प्रशासन ने बताया कि यह घटना “16 एकड़ के एक टाइटल सूट” का परिणाम थी, जो पासवान और अन्य लोगों ने उन पर कब्जा करने वाले लोगों के खिलाफ दायर की थी, जिन्होंने उस जमीन को खरीदने का दावा किया है।

पूरी घटना की जड़ में भूमि विवाद मुख्य मुद्दा है

बुधवार की घटना के कारणों का तुरंत पता नहीं चल सका। कुछ अधिकारियों ने बताया कि आरोपी बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के दौरान जमीन के निवासियों को हटाकर जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम कराने की कोशिश कर रहे थे। इसमें भू-माफिया भी शामिल होने के आरोप हैं, क्योंकि यह भूमि नवादा शहर के नजदीक है और काफी कीमती है। पुलिस और जिला प्रशासन सभी संभावनाओं की जांच कर रहे हैं। नवादा के जिला मजिस्ट्रेट आशुतोष कुमार वर्मा ने कहा, “यह मामला खुला हुआ है। हम भूमि अभिलेखों की जांच कर रहे हैं। विवादित भूमि पहले सरकारी जमीन थी, फिर इसे निजी स्वामित्व की जमीन के रूप में दिखाया गया। यह 1995 से एक कानूनी विवाद में उलझी हुई है।”

एसपी अभिनव धन ने कहा कि पुलिस सभी एंगल से जांच कर रही है। मिथिलेश मांझी और गांव के अन्य लोगों के लिए जिनके घरों में आग लगाई गई, गांव छोड़ना कोई विकल्प नहीं है। 85 वर्षीय सुरजू मांझी ने कहा, “हम 40 साल से इस जमीन पर काबिज हैं। चाहे कुछ भी हो जाए, हम इस जगह को नहीं छोड़ेंगे।”

पीड़ितों ने जताई उम्मीद सरकार “हमारे लिए पक्के मकान बनाएगी

उन्होंने कहा कि आगजनी जाति विवाद नहीं, बल्कि भूमि विवाद का परिणाम थी। सुरजू ने बताया, “पासवानों और मांझी/रविदास के बीच कभी कोई संघर्ष नहीं हुआ। भूमि सर्वेक्षण के चलते, नंदू पासवान और अन्य लोगों ने हमें डराने के लिए हमारे घरों में आग लगाई।” एक अन्य निवासी वैष्णवी मांझी ने कहा कि वह वर्षों से वहां रह रही थी और “राज्य सरकार भी हमें मान्यता देती है, और हमारे पास इस पते पर वोटर कार्ड हैं।” वैष्णवी की झोपड़ी भी उन जली हुई झोपड़ियों में से एक थी, और उसने आशा व्यक्त की कि सरकार “हमारे लिए पक्के मकान बनाएगी।”

घटना के बाद सभी विस्थापित परिवार एक सरकारी शिविर में रह रहे हैं। सरकार के अलावा, कुछ स्वयंसेवी समूह भी प्रभावित परिवारों को भोजन मुहैया करा रहे हैं। सरकार उन परिवारों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा दे रही है, जिनके घर जलाए गए थे। जिन 34 घरों में आग लगी, उनमें से 21 घर पूरी तरह जल गए और 13 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। ये घर ईंट से बने थे, जिनमें से कुछ की छतें फूस की थीं और अन्य की छतें एस्बेस्टस से बनी थीं।

स्थानीय निवासियों के अनुसार, मांझी परिवार इस क्षेत्र को गैर मजरूआ भूमि मानते हुए करीब 40 वर्षों से यहां खेती कर रहे हैं। हालांकि, नंदू पासवान और लगभग एक दर्जन अन्य लोग दावा करते हैं कि उन्होंने इस भूमि में से 16 एकड़ जमीन खरीदी है। 1995 में, उन्होंने नवादा के मुंसिफ कोर्ट में 20 मांझी और रविदास परिवारों के खिलाफ टाइटल सूट दायर किया था, जो इस भूमि पर कब्जा कर रहे थे।

डीएम आशुतोष कुमार वर्मा ने बताया कि वर्षों से भूमि रिकॉर्ड में इसे गैर मजरूआ भूमि और रैयत भूमि दोनों के रूप में दिखाया गया है। पिछले 12 वर्षों में, कई मांझी और रविदास परिवारों ने विवादित कृष्णा नगर भूमि पर झोपड़ियाँ बना ली हैं, जिसके कारण उन्हें राशन कार्ड, आधार कार्ड और बैंक पासबुक भी मिल गए हैं। आगजनी के बाद, जिला प्रशासन ने उन परिवारों को राशन कार्ड प्रदान करने के लिए एक विशेष शिविर का आयोजन किया, जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे। निवासियों ने कहा कि अगस्त 2023 तक इस मुद्दे पर कोई हिंसा नहीं हुई थी, जब कुछ लोगों ने कथित तौर पर आतंकित करने के उद्देश्य से हवा में गोलियां चलाईं।

बुधवार की घटना में निवासियों ने आरोप लगाया कि नंदू पासवान ने घरों में आग लगाने से पहले हवा में फायरिंग की थी। गांव के निवासी उमेश मांझी ने कहा कि वे चाहते हैं कि सरकार टाइटल सूट को जल्दी निपटाने में मदद करे। उमेश ने कहा, “सरकार को कानूनी रूप से हमारी मदद करनी चाहिए क्योंकि हम कानूनी मामलों को नहीं समझते हैं। चूंकि जमीन कई सालों से हमारे कब्जे में है, इसलिए हम ही इसके असली दावेदार हैं।” इस मुद्दे ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है, और विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है। पिछले दो दिनों में सीपीआई (एमएल), एलजेपी (आर) और बीएसपी के प्रतिनिधिमंडलों ने कृष्णा नगर का दौरा किया है। लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इलाके में पुलिस तैनात की गई है।