बिहार में नीतीश सरकार द्वारा शराबबंदी कानून को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी कानून को लेकर लोगों में जन जागरूकता लाने के लिए राज्य स्तर पर “समाज सुधार अभियान” यात्रा कर रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ से उनके बयानों पर विपक्ष हमलावर है।
बता दें कि समाज सुधार अभियान के दौरान एक रैली में नीतीश कुमार ने कहा कि शराब पीने से 200 बीमारियां होती है। बीमारियों के नाम गिनवाते हुए उन्होंने कहा कि इससे कैंसर हेपेटाइटिस, टीबी और दिल की बीमारियों के साथ एड्स भी होता है। उनके इस बयान को बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हास्यास्पद बताया है।”
“नीतीश का बयान हास्यास्पद है”: गुरुवार को अपनी पत्नी राजश्री यादव (रेचल) के साथ क्रिसमस मनाकर पटना लौटे तेजस्वी यादव ने शराबबंदी नीति की आलोचना करते हुए कहा कि नीतीश कुमार पहले अपनी सरकार सुधार लेते तब आगे की बात करते। उन्होंने कहा कि जो ज्ञान मुख्यमंत्री जी ने दिया है, वो हास्यास्पद है। समझ सकते हैं कि वो किस तरह चारों तरफ से घिरे हुए हैं। इसी के चलते वो उल्टा पुल्टा बयान दे रहे हैं।
‘पहले सरकार को तो सुधार लेते’: तेजस्वी यादव ने कहा कि शराब को रोकने की जिम्मेदारी पुलिस महकमें की है। यह विभाग नीतीश कुमार के पास है। बिहार विधानसभा में शराब की बोतलें मिली है। वहीं सीएम के समाज सुधार अभियान पर उन्होंने कहा कि पहले सरकार को तो सुधार लेते।
तेजस्वी यादव के अलावा लोक जनशक्ति पार्टी ने भी नीतीश कुमार पर हमला बोला है। पार्टी प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा कि जिस तरह से सीएम अब मीडिया पर हमला करने लगे हैं उससे लगता है कि उनका दिमागी संतुलन बिगड़ गया है।
..ऐसे लोगों को बिहार आने की जरूरत नहीं: वहीं शराब पर पाबंदी को लेकर नीतीश कुमार ने इससे पहले कहा था कि जिन लोगों को शराब ना मिलने के चलते बिहार आने में परेशानी होती है, उन्हें राज्य में आने की जरूरत नहीं है।
सीजेआई की टिप्पणी: बता दें कि बिहार में शराबबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश CJI एनवी रमना भी टिप्पणी कर चुके हैं। उन्होंने इसे एक अदूरदर्शी फैसला बताया। उन्होंने कहा है कि इस कानून के चलते कोर्ट पर बोझ बढ़ा है। 26 दिसंबर रविवार को सीजेआई ने कहा था कि बिहार में शराबबंदी क़ानून के बाद स्थिति यह है कि पटना हाइकोर्ट में ज़मानत की याचिका एक-एक साल पर सुनवाई के लिए आती है।