दिल्ली और इसके आसपास के शहरों की हवा लगातार खराब श्रेणी में बनी हुई है, लेकिन बिहार के एक शहर की हवा दिल्ली से भी ज्यादा प्रदूषित है। भारत में दूषित हवा को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने ताजा आंकड़े जारी किए हैं, जो बेहद चौंकाने वाले हैं। इस लिस्ट में 10 सबसे प्रदूषित शहर बिहार, हरियाणा और मध्य प्रदेश के हैं, जहां एक्यूआई 300 और 350 से ऊपर दर्ज किया गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सोमवार (7 नवंबर) को 163 शहरों का एक्यूआई दर्ज किया गया, जिनमें से सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर बिहार का कटिहार है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 360 रहा। आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली का एक्यूआई 354 था, नोएडा का 328 और गाजियाबाद का 304 था। वहीं, बिहार के बेगूसराय, हरियाणा के बल्लभगढ़, फरीदाबाद, कैथल और गुरुग्राम एवं मध्य प्रदेश का ग्वालियर भी सोमवार को सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल था।

यह डेटा देश के लिए एक वेकअप कॉल है और इन आंकड़ों को देखते हुए सर्तक होने और जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने बुधवार (2 नवंबर, 2022) को पंजाब में 3,634 खेत में आग लगने की सूचना दी थी। यह इस साल का अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा है।

उधर, दिल्ली सरकार ने राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कुछ कदम उठाए हैं और साथ ही उत्तर प्रदेश से आने वाली बसों से निकलने वाले धुंए को लेकर भी चिंता जताई। इस मुद्दे पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से अपील की कि वे राजधानी की सीमाओं पर ट्रैफिक जाम से बचने के लिए पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर गैर-जरूरी सामान ले जाने वाले ट्रकों को डायवर्ट करने के उपाय करें।

पृथ्वी और विज्ञान मंत्रालय के तहत एक पूर्वानुमान एजेंसी सफर के अनुसार, प्रतिकूल परिवहन-स्तर की हवाओं के कारण दिल्ली के PM2.5 प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी शनिवार को 30 प्रतिशत से घटकर 21 प्रतिशत रह गई। वायु गुणवत्ता सूचकांक या एक्यूआई में पीएम2.5 के तहत एकत्रित हुए 2.5 माइक्रॉन से भी छोटे बारीक प्रदूषण कणों को मापा जाता है, जो सीधे खून में मिल सकते हैं और दिल एवं फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं। इस कारण सांस लेने में दिक्कत संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं।

जहरीली हवा न केवल स्वस्थ फेफड़ों को प्रभावित करती है, बल्कि सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों में समय से पहले मौत का कारण भी बनती है। ग्रीनपीस के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण 2017 में 1.2 मिलियन से अधिक भारतीयों की समय से पहले मृत्यु हो गई।