जदयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। ललन सिंह को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राइट हैंड माना जाता है। कहा जा रहा है कि पिछले दिनों चिराग पासवान की लोजपा में हुई टूट के पीछे भी ललन सिंह का ही दिमाग था। ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर जदयू ने सवर्णों में सकारात्मक संदेश पहुंचाने की कोशिश की है। ललन सिंह जदयू के सबसे प्रमुख सवर्ण चेहरे हैं।
दरअसल ललन सिंह को नीतीश कुमार का संकट मोचक माना जाता है। नीतीश कुमार और जदयू के कई बड़े फैसलों में ललन सिंह साझेदार रहे हैं। जीतन राम मांझी को भी हटाने में ललन सिंह की ही भूमिका थी। बिहार के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि लोजपा में हुई टूट के पीछे भी ललन सिंह का ही दिमाग था। ललन सिंह ने लोजपा को तोड़ने के लिए दिवंगत नेता रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस से चर्चा की थी। जिसके बाद पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में चिराग पासवान को छोड़ सभी सांसदों ने बगावत कर दिया था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। नीतीश अपने फैसलों से बिहार के तमाम सियासी समीकरणों को साधने की कोशिश करते हैं। पिछले साल दिसंबर महीने में नीतीश कुमार ने सभी सियासी समीकरणों को साधते हुए आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था। पिछले कुछ समय से जदयू से बिहार के सवर्ण वोटरों की नाराजगी की खबर सामने आ रही थी।
सवर्णों की नाराजगी को दूर करने और उनके बीच सकारात्मक संदेश पहुंचाने के मकसद से नीतीश कुमार ने अपने सबसे विश्वस्त चेहरे ललन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। ललन सिंह बिहार के प्रमुख राजनीतिक सवर्ण चेहरे हैं और वो भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं। भूमिहार समुदाय के बीच ललन सिंह की काफी अच्छी पकड़ है। इसी का फायदा उठाते हुए उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को करारी मात दी थी।
हालांकि जदयू ने ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले को जाति के नजरिए से नहीं देखने की अपील की। जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले से पार्टी को फायदा होगा और यह पार्टी के भविष्य के लिए अच्छा संकेत है। इसलिए इसे जाति के मामले से न जोड़ कर देखा जाए।