बिहार चुनाव की तारीखे जैसे जैसे पास आ रही हैं। दोनों महागठबंधन अपनी अपनी तैयारियों को धार देने में लग गये हैं। लेकिन दोनों गठबंधनों को सीटों का बंटवारा करने में माथापच्ची करनी पड़ रही है। हालाँकि महागठबंधन सीट बंटवारा करने में एनडीए से काफी आगे दिखायी दे रहा है।
महागठबंधन में 100 सीटों पर जेडीयू, 100 सीटों पर राजद और 40 सीटों पर कांग्रेस के लड़ने पर सहमति बन गयी है। लेकिन एनसीपी तीन सीटें मिलने से नाखुश है और खुद को महागठबंधन से अलग करने की बात कह रही है। इधर एनडीए की चारों पार्टियों में सीटों के बंटवारा होनें से पहले बयानों का दौर शुरु हो गया है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाह ने खुद के लिए 67 सीटें और पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी के लिए 75 सीटों की मांग की है।
उपेंद्र कुशवाह का कहना है कि आगामी चुनाव में भाजपा को 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के बराबर ही सिर्फ 102 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिये और बाकी सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ देनी चाहिये। हालाँकि भाजपा के तरफ से अभी सीट बंटवारे पर पर कोई बयान नहीं आया है। चिराग पासवान सीट बंटवारे को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिल चुके हैं। संभावना है कि बिहार विधानसभा में पासवान की पार्टी को 50 सीटें पर चुनाव लड़े। पिछले विधानसभा चुनाव में पासवान लालू के साथ मिलकर 75 सीटों पर लड़े थे लेकिन पासवान के सिर्फ 3 उम्मीदवारों को चुनाव में जीत नसीब हुई थी। पर पाँच सालों में बिहार की राजनीति काफी बदल चुकी है।
पासवान अब भाजपा के पाले में खड़े है और पिछले लोकसभा चुनाव में पासवान की पार्टी ने 7 में से 6 सीटों पर जीत भी दर्ज की थी। एनडीए की चौथी पार्टी हम पहली बार चुनाव लड़ने जा रही है। जीतनराम मांझी की पार्टी को कितनी सीटें मिलती हैं यह इस बात पर निर्भर करेगा की बाकी तीनों बड़ी पार्टियों की कितनी सीटों पर सहमति बन पाती है।
बिहार चुनाव हमेशा से देश में राजनीतिक एजेंडा तय करने वाला रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव ही अगले साल पाँच राज्यों और 2017 में उत्तर प्रदेश चुनाव की दिशा तय करेंगे।