बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को प्रचंड जीत मिली है, वहीं महागठबंधन की करारी हार हुई है। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज भी मैदान में थी। हालांकि उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिली। वहीं अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ रही थी लेकिन उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा। आम आदमी पार्टी पहले इसी साल फरवरी में दिल्ली की सत्ता गंवा चुकी है। वहीं 2027 के फरवरी-मार्च में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां पर वह वापसी के लिए मेहनत कर रही है।

AAP के 99 उम्मीदवार मैदान में थे

पार्टी को उम्मीद थी कि बिहार विधानसभा चुनाव में उसे इतने वोट मिल जाएंगे कि वह अपनी मौजूदगी दर्ज करा पाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बिहार विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 99 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे लेकिन अंत तक उसके 83 उम्मीदवार ही मैदान में टिक सके। बाकी 16 उम्मीदवारों ने या तो नामांकन वापस ले लिया या फिर उनके नामांकन रद्द हो गए।

सभी सीटों पर जमानत जब्त

बिहार के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की सभी 83 सीटों पर जमानत जब्त हो गई और उसे नोटा से भी कम वोट मिले। आम आदमी पार्टी को बिहार में 0.30 फीसदी (150913 वोट) वोट मिला जबकि नोटा को 1.81 फ़ीसदी (910730) वोट मिला।

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हालांकि आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं ने बिहार में प्रचार नहीं किया था। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान बिहार में प्रचार के लिए आए ही नहीं। पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कुछ सभाएं जरूर की लेकिन वह काफी नहीं थी। यानी हम कह सकते हैं कि पार्टी चुनाव तो लड़ रही थी, लेकिन पूरे मन से नहीं।

पंजाब में डेरा जमाए हैं केजरीवाल

वर्तमान में दिल्ली में हारने के बाद अरविंद केजरीवाल का पूरा ध्यान पंजाब पर ही है। आम आदमी पार्टी के बड़े नेता पंजाब में लगातार डेरा जमाए हुए हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के साथ पंजाब की तरन तारन विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे, जहां पर आम आदमी पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की है। पार्टी का पूरा फोकस पंजाब में सत्ता वापसी पर है।

पंजाब में आम आदमी पार्टी को अकाली दल और कांग्रेस से चुनौती भी मिल रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया था। हालांकि उसके बाद हुए उप चुनाव में आम आदमी पार्टी को सफलता मिली।