साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की उजियारपुर सीट पर चुनाव प्रचार करते हुए तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक वादा किया था। अपने इस वादे में अमित शाह ने कहा था कि यदि इस सीट से भाजपा उम्मीदवार नित्यानंद राय जीत जाते हैं और एनडीए की सरकार की सत्ता में फिर से वापसी होती है तो वह राय को ‘कुछ महत्वपूर्ण’ जिम्मेदारी देंगे। चुनाव बाद जब एनडीए की सत्ता में वापसी हुई तो अमित शाह ने अपना वादा निभाया और राय को अपना डेप्युटी बनाते हुए गृह राज्यमंत्री के पद से नवाजा।

बता दें कि साल 2010 में नित्यानंद राय पहली बार विधायक चुने गए थे और 10 साल में ही वह एक विधायक से गृह राज्यमंत्री बनने तक का सफर तय कर चुके हैं। नित्यानंद राय के इस उभार से कई लोग हैरान हैं। बता दें कि 54 वर्षीय नित्यानंद राय भाजपा में यादव चेहरे हैं और पार्टी की तरफ से बिहार का सीएम बनने की रेस के मुख्य उम्मीदवार हैं। दरअसल बिहार में अगड़ी जाति के मतदाता भाजपा का वोटबैंक माना जाता है। वहीं यादव वोटबैंक राजद का पारंपरिक वोटबैंक माना जाता है। ऐसे में नित्यानंद राय पार्टी के लिए काफी अहम हो सकते हैं।

किसान परिवार से आने वाले नित्यानंद राय का संघ से जुड़ाव 1981 से ही रहा है। वह एबीवीपी के सदस्य भी रहे। हाजीपुर के आरएन कॉलेज से ग्रेजुएशन करते वक्त भी वह संघ की शाखाओं का हिस्सा रहे। भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाशपति मिश्रा की नजर उन पर पड़ी थी और उन्होंने ही नित्यानंद राय को राजनैतिक रूप से तराशा।

नित्यानंद राय ने ही हाजीपुर में कांग्रेस के प्रभाव को खत्म किया और 2000 से लेकर 2010 तक लगातार हाजीपुर विधानसभा सीट से जीत हासिल की। नित्यानंद के प्रभाव को इस बात से भी समझा जा सकता है कि हाजीपुर विधानसभा सीट राजद के दबदबे वाली राघोपुर सीट और महुआ, सोनेपुर और परसा से घिरी है। इसके बावजूद वह लगातार वहां से जीते। राघोपुर से राबड़ी देवी तीन बार विधायक चुनी गईं और अब उनके बेटे तेजस्वी यहां से विधायक हैं। वहीं सोनेपुर और परसा सीट से लालू यादव खुद चुनाव जीत चुके हैं।

नित्यानंद राय 2014 का लोकसभा चुनाव उजियारपुर सीट से जीते। इसके बाद अमित शाह ने उन्हें 2016 में बिहार भाजपा का अध्यक्ष बनाया। यह पहली बार था कि पार्टी ने पिछड़े वर्ग से आने वाले किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी। इससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर अगड़ी जाति के नेता ही पहुंचे थे।

सुशील मोदी, प्रेम कुमार, अश्विनी कुमार चौबे, नंद किशोर यादव और गिरिराज सिंह जैसे नेताओं के बीच नित्यानंद राय ने अपनी जगह बनायी और अब वह पार्टी की तरफ से बिहार सीएम पद की रेस में शामिल हैं। बिहार भाजपा में उनके बढ़ते कद को इस बात से समझा जा सकता है कि पार्टी ने बीते माह ही उन्हें 70 सदस्यों वाली चुनाव समिति का प्रमुख नियुक्त किया है।