बिहार के दरभंगा जिले में रिसर्च करने आए लोगों को NRC सर्वेक्षणकर्ता समझ कर पुलिस के हवाले कर दिया गया। बताया जा रहा है कि लखनऊ से शोधकर्ताओं की एक टीम को यहां एक गांव के निवासियों ने एनआरसी के लिए आए सर्वेक्षणकर्ता समझ कर पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। दरभंगा के पुलिस अधीक्षक बाबू राम ने बताया कि यह घटना बीते शुक्रवार को उस समय हुई जब चार महिलाओं समेत 12 लोगों की एक टीम ने जमालपुर पुलिस थाना क्षेत्र के तहत एक गांव का दौरा किया।

यह टीम लखनऊ के एक अनुसंधान संगठन से जुड़ी हुई थी। टीम के सदस्यों ने बताया कि जब उन्होंने घरों में जाकर सूचना एकत्र करना शुरू किया तो यह अफवाह फैल गई कि गांव में एनआरसी सर्वेक्षक’ आये है। जिसके बाद ग्रामीण उग्र हो गये और इन लोगों को पुलिस स्टेशन ले जाने से पहले कुछ समय तक बंधक बनाकर रखा गया। बताया जा रहा है कि यह टीम प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों के जीवन में आए बदलाव पर शोध करने के लिए  गांव में पहुंची थी।

एसपी ने बताया कि पुलिस स्टेशन में स्थिति को संभाला गया जहां अधिकारियों ने शोधकर्ताओं की पहचान को सत्यापित किया और ग्रामीणों को समझाया गया। इसके बाद वे संतुष्ट हुए। बिहार के विभिन्न भागों में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे है। निजी अनुसंधान और विपणन कंपनियों के लिए सर्वेक्षण करने में शामिल लोगों को गलती से निशाना बनाया जा रहा है।

आपको बता दें कि इससे पहले 16 जनवरी, 2020 को दरभंगा में ही आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं का मूड जानने पहुंची टीम को लोगों ने बंधक बना कर हंगामा करना शुरू कर दिया था। उस वक्त बड़ी मुश्किल से पुलिस ने मामले को शांत कराया था।

भाषा इनपुट से