Mahagathbandhan vs NDA in Bihar bypolls 2024: बिहार में होने जा रहे उपचुनाव को लेकर इन दिनों राजनीतिक गर्मागर्मी तेज है। उपचुनाव वाली सीटों- तरारी, बेलागंज, इमामगंज और रामगढ़ की विधानसभा सीटों पर जोरदार चुनाव प्रचार चल रहा है। इन सभी सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 नवंबर को वोटों की गिनती की जाएगी। बिहार में अगले साल नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं और उससे पहले इस उपचुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है।
विपक्षी महागठबंधन की ओर से तीन सीटों पर आरजेडी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि एक सीट पर भाकपा (माले) का प्रत्याशी चुनाव लड़ रहा है।
सरकार चला रहे एनडीए गठबंधन की ओर से बीजेपी ने दो सीटों पर, जेडीयू और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) ने एक-एक सीट पर उम्मीदवार उतारा है। इन चार सीटों पर कुल 38 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
बेलागंज सीट पर हैं 14 उम्मीदवार
बेलागंज विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 14 उम्मीदवार हैं। बेलागंज में विश्वनाथ कुमार सिंह आरजेडी के उम्मीदवार हैं। यहां से उनके पिता सुरेंद्र प्रसाद यादव चुनाव लड़ते थे लेकिन इस लोकसभा चुनाव में सुरेंद्र प्रसाद यादव जहानाबाद से सांसद चुने गए हैं।
विश्वनाथ कुमार सिंह का मुकाबला जेडीयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी से है। मनोरमा देवी पूर्व एमएलसी हैं। इस सीट पर चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के मोहम्मद अमजद और एआइएमआइएम के मोहम्मद जामिन अली हसन भी मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं।
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जगदानंद सिंह के बेटे लड़ रहे चुनाव
रामगढ़ सीट पर सबसे कम पांच उम्मीदवार हैं। यहां से आरजेडी के उम्मीदवार अजीत कुमार सिंह चुनाव मैदान में हैं। अजीत कुमार सिंह बिहार में आरजेडी के अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं। रामगढ़ सीट अजीत कुमार सिंह के भाई सुधाकर सिंह के बक्सर से लोकसभा सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई है। आरजेडी को उम्मीद है कि वह इस सीट पर फिर से जीत दर्ज करेगी।
बीजेपी ने यहां से अशोक कुमार सिंह को टिकट दिया है। अशोक कुमार सिंह इस सीट से 2015 में चुनाव जीते थे लेकिन पिछले चुनाव में वह यहां तीसरे नंबर पर रहे थे। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा यहां दूसरे नंबर पर रही थी। बसपा ने सतीश कुमार सिंह यादव को जबकि जन सुराज ने सुशील कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
जीतन राम मांझी की बहू लड़ रहीं चुनाव
इमामगंज (आरक्षित) सीट पर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन की पत्नी दीपा को चुनाव लड़ाया है। संतोष सुमन नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री हैं। यह सीट जीतन राम मांझी के गया से लोकसभा सांसद बनने की वजह से खाली हुई है।
यहां से आरजेडी के उम्मीदवार रोशन मांझी भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। एआईएमआईएम की ओर से कंचन पासवान और जन सुराज के जितेंद्र पासवान ने इस सीट पर मुकाबले को बेहद नजदीकी बना दिया है।
तरारी सीट पर सीपीआई (एमएल) के उम्मीदवार राजू यादव हैं। इस सीट से आरा के वर्तमान सांसद सुदामा प्रसाद लगातार दो बार जीत चुके हैं। राजू यादव के खिलाफ बीजेपी ने विशाल प्रशांत को टिकट दिया है। विशाल प्रशांत कई बार विधायक रहे सुनील पांडे के बेटे हैं। सुनील पांडे 2020 में निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए दूसरे नंबर पर रहे थे।
जात और भात पर वोट न दें: प्रशांत किशोर
एनडीए के सामने बिहार में महागठबंधन के अलावा एक चुनौती प्रशांत किशोर भी हैं। प्रशांत किशोर ने पूरे बिहार का दौरा किया है और वह उपचुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी पूरी तैयारी के साथ लड़ रहे हैं। प्रशांत किशोर ने हाल ही में जन सुराज पार्टी की स्थापना की है।
प्रशांत किशोर ने बिहार के उपचुनाव में लोगों से अपील की है कि वे जात और भात (राशन) पर वोट ना दें। उन्होंने एक रैली में कहा है कि वह बिहार को जात और भात के नाम पर होने वाले मतदान के कुचक्र से बाहर निकालना चाहते हैं। प्रशांत किशोर उर्फ पीके का कहना है कि लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने बिहार को 35 साल तक जात के दलदल में धकेले रखा और अब पिछले 10 साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 किलो भात (राशन) देते हुए आपको ठग रहे हैं। अगर आप अपने और अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य चाहते हैं तो आपको जात और भात के नाम पर वोट देना बंद कर देना चाहिए।
नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा एनडीए
बिहार में अगले साल नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं और उससे पहले इस उपचुनाव को एनडीए और महागठबंधन में शामिल दल बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। हाल ही में एनडीए की एक अहम बैठक हुई और इसमें सभी सहयोगी दलों ने संकल्प लिया कि वे 2025 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेंगे।
हिंदू स्वाभिमान यात्रा को लेकर विवाद
बिहार में पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकाली थी। इस यात्रा को लेकर आरजेडी और गिरिराज सिंह के बीच काफी तल्खी देखने को मिली थी। आरजेडी ने कहा था कि बीजेपी और जेडीयू राज्य का माहौल खराब करना चाहते हैं। जेडीयू और बीजेपी ने गिरिराज सिंह की इस यात्रा से पूरी तरह किनारा कर लिया था।