बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के प्रभु श्रीराम को लेकर दिए एक बयान पर राम जन्मभूमि आंदोलन से राजनीतिक परिदृश्य में उभरकर आई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उन पर जुबानी निशाना साधा है। ‘राम भगवान नहीं हैं’ वाली टिप्पणी पर शुक्रवार (15 अप्रैल, 2022) को राज्य में अपने गठबंधन सहयोगी को आड़े हाथ लेते हुए कहा- खुद को सबरी के वंशज बताने वाले उन्हीं के आराध्य के अस्तित्व पर सवाल उठा रहे हैं। यह देख कर हंसी आती है।
सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘‘यह तो हंसने की बात है कि स्वयं को सबरी के वंशज कहने वाले, उन्हीं के आराध्य के अस्तित्व पर सवाल उठा रहे हैं।’’
उधर, भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव निखिल आनंद ने जानना चाहा कि क्या मांझी नास्तिक हैं और अगर ऐसा नहीं है तो उनकी आस्था ‘‘किस भगवान में है।’’
दरअसल, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने प्रभु श्री राम को एक काल्पनिक पात्र बता दिया था। उन्होंने कहा था कि ‘राम भगवान नहीं हैं’। जमुई में गुरुवार (14 अप्रैल, 2022) को डॉक्टर भीम राव आंबेडकर के जन्मदिवस पर एक कार्यक्रम में मांझी ने भगवान राम पर उक्त टिप्पणी की थी। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख मांझी ने छुआछूत की प्रथा पर सवाल उठाया और रामायण का उदहारण पेश करते हुए कहा कि भगवान राम ने भी सबरी के जूठे बेर खाए थे।
मुसहर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मांझी ने कहा था, ‘‘ऊंची जाति के लोग छुआछूत की प्रथा को खत्म करने के लिए इस उदाहरण का पालन क्यों नहीं करते? मुझे नहीं लगता है कि राम भगवान थे। वह वाल्मिकी की रामायण और गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित मानस के एक किरदार हैं। दोनों की किताबों में बहुमूल्य उपदेश हैं।’’
वैसे, ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है, जब जीतन राम मांझी विवादों में आए हों। वह पहले भी इस तरह के बयान दे चुके हैं, जिन पर कंट्रोवर्सी हो चुकी है।