Bihar Bahubali Anand Mohan Singh: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर अपराध की गूंज सुनाई दे रही है। पिछले कुछ दिनों में कारोबारी गोपाल खेमका का मर्डर हो, गैंगस्टर राजू मिश्रा की हत्या हो या ऐसे कई और आपराधिक मामले, इनसे बिहार के अखबार भरे पड़े हैं। बिहार में बालू खनन, कारोबारियों को धमकी, हत्याएं, अपहरण, फिरौती, वसूली जैसे आपराधिक कामों में गैंगस्टर और इनके गुर्गे शामिल हैं।
बिहार की राजनीति को समझने वाले लोग बताते हैं कि बिहार में अपराध और सियासत का एक जबरदस्त कॉकटेल काम करता है। कई नेता अपराधियों को संरक्षण देते हैं और उन्हें गैर कानूनी कामों के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा बिहार में बाहुबलियों की लंबी लिस्ट है और उनका राजनीति में अच्छा-खासा दखल है। इन बाहुबली नेताओं पर कई मुकदमे दर्ज हैं।
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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार विधानसभा के लगभग 70 प्रतिशत विधायकों (243 में से 163) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास से लेकर अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध तक के मामले शामिल हैं।
सीवान में था मोहम्मद शहाबुद्दीन का खौफ
आइए, बिहार के 10 बाहुबली नेताओं के बारे में बात करते हैं। ऐसे लोगों में बड़ा नाम मोहम्मद शहाबुद्दीन का है। एक वक्त में मोहम्मद शहाबुद्दीन की सीवान और उसके आसपास के इलाकों में तूती बोलती थी। आरजेडी की सरकार के दौरान शहाबुद्दीन का जबरदस्त खौफ था। उस दौर में किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि वह शहाबुद्दीन के खिलाफ गवाही दे सके। सीवान जिले में शहाबुद्दीन की मनमानी चलती थी। शहाबुद्दीन कई बार विधायक और सांसद रहे थे। कोरोना से उनकी मौत हो गई थी।
डीएम की हत्या में दोषी ठहराए गए थे आनंद मोहन सिंह
गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन सिंह लंबे वक्त तक जेल में रहे। बिहार के कोसी इलाके में उनके जबरदस्त असर है। एक वक्त में वह राजद के सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के विरोधी थे लेकिन बाद में उनके बेटे चेतन आनंद राजद के टिकट पर ही विधायक बने। उन्हें बिहार के सामान्य वर्ग के नेताओं के बीच बड़ा चेहरा माना जाता है। आनंद मोहन सिंह को 1994 में गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
2023 में जब आनंद मोहन सिंह को जेल से रिहा किया गया था तो इसके लिए बिहार सरकार की खूब आलोचना हुई थी। यह आरोप लगा था कि उसने जेल के नियमों में बदलावर कर आनंद मोहन सिंह को रिहा किया है। 1993 में आनंद मोहन ने बिहार पीपुल्स पार्टी (BPP) बनाई थी। इसके बाद उन्होंने समता पार्टी से हाथ मिलाया। उनकी पत्नी लवली आनंद भी सांसद रही हैं।
अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार
अनंत सिंह को छोटे सरकार के नाम से जाना जाता है। वह अपने अलग अंदाज के लिए पहचाने जाते हैं। उन्हें आर्म्स एक्ट के मामले में 10 साल जेल की सजा हो चुकी है। इसके चलते उन्हें बिहार की विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अनंत सिंह कई बार विधायक रह चुके हैं। अनंत सिंह ने एक बार मोकामा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सिक्कों से तोला था। पुटुस हत्याकांड में नाम आने के बाद उन्हें जेल जाना पड़ा था। अनंत सिंह चार बार विधायक रहे हैं। दो बार जेडीयू एक बार निर्दलीय और एक बार आरजेडी के टिकट पर। उनके खिलाफ अपहरण रंगदारी और हत्या समेत कई अपराधों में 38 से ज्यादा मामले दर्ज हैं।
सूरजभान सिंह
सूरजभान सिंह का नाम भी ऐसे लोगों में शामिल है जो बाहुबली भी हैं और राजनीतिक रूप से ताकतवर भी हैं। पटना जिले के मोकामा के रहने वाले सूरजभान सिंह अपराध की दुनिया से राजनीति में आए फिर विधायक और सांसद बने। बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी की हत्या में भी सूरजभान सिंह का नाम था हालांकि बाद में उन्हें बरी कर दिया गया था। आपराधिक मामले दर्ज होने के बाद से ही सूरजभान ने अपनी पत्नी और भाई को राजनीति में उतार दिया।
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बृज बिहारी की हत्या में आया था मुन्ना शुक्ला का नाम
मुन्ना शुक्ला का नाम बिहार की राबड़ी देवी सरकार में मंत्री रहे बृज बिहारी की हत्या में आया था। मुन्ना शुक्ला का बड़ा अपराधिक इतिहास रहा है। न सिर्फ मुन्ना शुक्ला बल्कि उसके छोटे भाई छोटन शुक्ला और भुटकुन शुक्ला भी अपराध की दुनिया में सक्रिय थे। बिहार में अक्सर होने वाली गैंगवार में छोटन सिंह और भुटकुन शुक्ला की हत्या हो गई थी। मुन्ना शुक्ला को विजय कुमार शुक्ला के नाम से भी जाना जाता है।
मुन्ना शुक्ला के बारे में कहा जाता है कि अपनी धमक के दम पर ही वह चुनाव जीतते रहे। पूर्व मंत्री बृज बिहारी की हत्या के मामले में मुन्ना शुक्ला समेत दो लोगों को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।
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पूर्व बाहुबली सांसद काली पांडे
पूर्व बाहुबली सांसद काली पांडे का 80-90 के दशक में बिहार में जबरदस्त बोलबाला था। अपराध की दुनिया से निकलकर काली पांडे भी सियासत के मैदान में आ गए। काली पांडे जेल की सजा काट चुके हैं और एक वक्त में उनका उत्तरी बिहार में दबदबा था। 1989 में पटना जंक्शन पर गोपालगंज के बड़े नेता नगीना राय पर हुए हमले में काली पांडे का नाम आया था। काली पांडे न सिर्फ कांग्रेस से बल्कि आरजेडी के टिकट पर भी चुनाव लड़ चुके हैं। काली पांडे पर कई बार गंभीर आरोप लगे लेकिन पुलिस उनके खिलाफ सबूत नहीं जुटा पाई और वह लूट, हत्या, अपहरण जैसे गंभीर मामलों में भी बरी हो गए थे। काली पांडे 1984 के लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड वोटों से जीते थे।
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सुनील पांडे ने पिता की हत्या के बाद छोड़ी पढ़ाई
सुनील पांडे रोहतास जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता बालू का कारोबार करते थे और उस दौरान उनकी हत्या कर दी गई थी। तब सुनील पांडे किसी दूसरे राज्य में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। पिता की हत्या के बाद सुनील पांडे अपराध की दुनिया में उतर गए। सुनील पांडे के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने भगवान महावीर के अहिंसा दर्शन पर पीएचडी की है और इसके बाद उन्हें डॉक्टर डॉन कहा जाने लगा।
सुनील पांडे का नाम 2003 में पटना के जाने-माने न्यूरोसर्जन रमेश चंद्र के अपहरण और रणवीर सेना के मुखिया परमेश्वर मुखिया की हत्या के मामले में सामने आया था। सुनील पांडे पर हत्या, हत्या के प्रयास, वसूली, अपहरण और लूट के 40 से ज्यादा मामले दर्ज हैं।
राजन तिवारी
बिहार के बाहुबलियों में एक नाम राजन तिवारी का भी है। राजन तिवारी का नाम न सिर्फ बिहार बल्कि उत्तर प्रदेश के भी बड़े अपराधियों में लिया जाता है। राजन तिवारी दो बार बिहार में विधायक बने। उन पर 2005 में किडनैपिंग का आरोप लगा था। इनकी सियासी विरासत इनके भाई राजू तिवारी ने संभाली हुई है। राजू तिवारी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
कई साल तक जेल में रहे पप्पू यादव
पप्पू यादव बिहार के मधेपुरा जिले के रहने वाले हैं। 1990 में वह पहली बार निर्दलीय विधायक बने थे। पप्पू यादव का सीमांचल में काफी असर है और वह 17 साल तक जेल में रहे हैं। उन पर हत्या, किडनैपिंग, मारपीट, आर्म्स एक्ट के तहत कई मामले दर्ज हैं। CPI विधायक अजीत सरकार की हत्या के आरोप में दोषी साबित होने के बाद अदालत ने पप्पू यादव को उम्र कैद की सजा सुनाई थी लेकिन उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और उन्हें बरी कर दिया गया था। पप्पू यादव एक बार विधायक और छह बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। मौजूदा वक्त में वह पूर्णिया लोकसभा सीट से निर्दलीय सांसद हैं।