जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार के राज्यपाल से मांग की है कि वो राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को तुंरत पद से बर्खास्त कर गिरफ्तार करवाएं। पीके ने आरोप लगाते हुए कहा कि साल 1995 में तारापुर में कुशवाहा समाज सात लोगों की हत्या में सम्राट चौधरी अभियुक्त थे।

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि उन्हें साल 1995 में गिरफ्तार किया गया लेकिन अदालत द्वारा गलत तरीके से नाबालिग करार दिए जाने के बाद रिहा कर दिया गया। पीके ने दावा किया कि कोर्ट में सम्राट चौधरी ने उम्र को लेकर गलत हलफनामा दिया। इसलिए वो अभियुक्त होने के बाद भी जेल से बरी कर दिए गए।

पीके बोले- सुप्रीम कोर्ट में जमा किया दस्तावेज

प्रशांत किशोर ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी इन पर मेरा सीधा आरोप है, ये हत्या के अभियुक्त हैं, इनको तुरंत पद से बर्खास्त करके गिरफ्तार किया जाए। तारापुर में 1995 में 7 लोगों की जो हत्या हुई, सातों मारे जाने वाले लोग कुशवाहा समाज के लोग थे, यह बिहार में जाति की राजनीति करने वालों के लिए सबक होना चाहिए। सम्राट चौधरी कहते हैं मैं कुशवाहा हूं। 7 लोगों की हत्या के लिए अभियुक्त राकेश कुमार उर्फ सम्राट कुमार मौर्य उर्फ सम्राट चौधरी तारापुर केस नंबर 44/1995 में सात लोगों की हत्या हुई और उसमें ये अभियुक्त हुए और केस में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट को 24-04-1995 को इन्होंने जो डाक्यूमेंट सबमिट किया बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का एक एडमिट कार्ड समिट किया, जिसमें बताया गया कि एक स्कूल से एडमिट कार्ड में उनका नाम सम्राट चंद्र मौर्य है, पिता का नाम सकुनी चौधरी, डेट ऑफ बर्थ 01-05-1981, रिजल्ट फेल, नंबर आया 268, कैटेगरी-प्राइवेट ये सुप्रीम कोर्ट का डॉक्युमेंट है, जो सम्राट चौधरी ने जमा किया है।”

पीके ने आगे कहा कि सम्राट चौधरी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए डॉक्युमेंट के आधार पर उन्हें 95 में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट में नाबालिग होने के नाम पर वहां से राहत दी। डॉक्यूमेंट के आधार पर वह 15 साल के थे और कानून 18 साल के कम उम्र के बच्चों को अभियुक्त के द्वार पर जेल में नहीं रखा जा सकता।

गिरफ्तारी की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि 2020 का सम्राट चौधरी का चुनावी हलफनामा कहता है कि उनकी उम्र 51 साल है, उन्होंने 2020 में अपनी उम्र 51 साल बताई। इसका मतलब है, 1995 में उनकी उम्र 26 साल थी। इस उम्र के आदमी को कोर्ट ने गलती से गलत सर्टिफिकेट के आधार पर अभियुक्त होने के बावजूद जेल से रिहा कर दिया। उनका अपना खुद का डॉक्यूमेंट उनकी सही उम्र बता रहा है, इसलिए जब तक वह कोर्ट से फ्री नहीं होते हैं तब तक उन्हें जेल में होना चाहिए।

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