बिहार के सत्ताधारी महागठबंधन के भविष्य को लेकर लगाई जा रही अटकलों के बीच बीजेपी के वरिष्ठ प्रदेश नेता सुशील मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हमेशा “सहज” रहे हैं क्योंकि “कांग्रेस-विरोध उनके खून में है।” बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी गुरुवार (13 जुलाई) को इंडियन एक्सप्रेस के साप्ताहिक कार्यक्रम आइडिया एक्सप्रेस अड्डा में बोल रहे थे। साल 2015 के विधान सभा चुनाव में नीतीश की जदयू ने कांग्रेस और लालू यादव की राजद के साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा और जीता था। पिछले कुछ दिनों से अटकलें लगाई जा रही हैं कि जदयू लालू के बेटे और राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई द्वारा भ्रष्टाचार की एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद उनके इस्तीफा मांग सकती है।
जब सुशील मोदी से पूछा गया कि क्या नीतीश दोबारा बीजेपी के संग गठबंधन कर सकते हैं? इस पर मोदी ने कहा, “नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हमेशा सहज रहे हैं और वो सबसे ज्यादा सहज तब थे जब वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री थे। वो उनके राजनीतिक जीवन का स्वर्ण काल था।” सुशील मोदी ने पिछले कुछ समय में लालू यादव और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं। मोदी के आरोपों के बाद सीबीआई ने लालू यादव से जुड़ी हुई कई परिसंपत्तियों पर छापा मारा और एफआईआर दर्ज की। सुशील मोदी ने इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम में ये भी संकेत दिया कि उन्हें लालू यादव के खिलाफ सबूत नीतीश सरकार में शामिल लोगों से भी मिलते रहे हैं।
सुशील मोदी ने बिहार में जदयू के साथ गठबंधन को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं। सुशील मोदी ने कहा, “वो बीजेपी के साथ 1996 से 2013 तक 17 साल रहे हैं। उन्होंने सीएम के तौर पर जो भी कमाया था उसे अब गंवा रहे हैं। उन्होंने अपने सुशासन की वजह से जो भी कमाया था वो बीजेपी के साथ काम करके हासिल किया था।” जब सुशील मोदी से पूछा गया कि क्या बीजेपी जदयू से गठबंधन करने जा रही है? इस पर उन्होंने कहा कि ये वक्त बताएगा।
नीतीश कुमार ने साल 2014 में नरेंद्र मोदी को बीजेपी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने के खिलाफ ही 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ा था। ऐसे में वो नरेंद्र मोदी के पीएम रहते हुए कैसे वापस आ सकते हैं? इस पर सुशील मोदी ने ममता बनर्जी, बीजद की नवीन पटनायक और मायावती की बसपा का उदाहरण देते हुएने कहा कि कई क्षेत्रीय पार्टियां अलग-अलग समय पर बीजेपी के साथ रही हैं और अलग-अलग कारणों से उससे अलग हो गईं।

