बिहार के सीमांचल इलाके में All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen (AIMIM) का बढ़ता प्रभाव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए चिंता का विषय बन गया है। सीमांचल में पड़ने वाले अहम जिले किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार मु्स्लिम बहुल माने जाते हैं। लिहाजा अब इन जिलों में वोटरों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए राजद नेता तेजस्वी यादव ने खास प्लान तैयार किया है। इस योजना के तहत तेजस्वी यादव जल्दी ही कोसी और सीमांचल क्षेत्र का दौरा करेंगे। राजद नेता का यह दौरा 14 जनवरी के बाद शुरू होगा।
किशनगंज विधानसभा सीट पर हाल ही में उपचुनाव हुए थे। इस सीट पर पहली बार एआईएमआईएम ने जीत का पताका लहराया था। यहां से कमरुल होदा ने एआईएमआईएम की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए बीजेपी प्रत्याशी स्वीटी सिंह को 10 हजार से ज्यादा मतों से हराया था। हालांकि यह सीट कांग्रेस की मानी जाती है, लेकिन इस बार कांग्रेस यहां तीसरे नंबर पर रही। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में भी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने यहां बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 2.9 लाख वोट भी हासिल किये थे।
हालांकि अल्पसंख्यक बहुल इन इलाकों में ओवैसी की पार्टी के बढ़ते प्रभाव पर राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि ‘हम AIMIM को एक चेतावनी के तौर पर नहीं ले रहे हैं। यह चुनाव का साल है और हम अपनी योजनाओं पर फोकस कर रहे हैं। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव सीमांचल औऱ कोसी के इलाकों का दौरा करेंगे। इस साल महागठबंधन की ताकत दिखेगी…हम यह नहीं मानते की कोई एक पार्टी हमारी प्रतिद्वंद्वी है…हमारा प्रतिद्वंद्वी एनडीए है।’
इधर AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष आदिल हसन आजाद ने कहा कि ‘साल 2015 में हुए चुनाव के बाद से ही इन इलाकों में हमारी पार्टी का प्रभाव दिखने लगा है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जीती थी लेकिन किशनगंज में हमारे उम्मीदवार और जीते हुए प्रत्याशी के बीच वोटों का अंतर महज 35,000 था। उन्होंने कहा कि हम किसी भी धर्म या जाति के आधार पर नहीं बल्कि सीमांचल में स्वास्थ्य, शिक्षा के विकास तथा सीमांचल के लिए स्पेशल पैकेज के मुद्दे को लेकर मजबूती से चुनाव लड़ेंगे।