Assam BJP News: असम भाजपा के सत्ता में आने के बाद से अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है। वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। असम भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और नागांव से चार बार सांसद रहे 74 वर्षीय गोहेन ने गुरुवार दोपहर अपने 17 समर्थकों के साथ गुवाहाटी स्थित पार्टी मुख्यालय में अपना इस्तीफा सौंप दिया।
तीन दशकों से अधिक समय तक भाजपा का हिस्सा रहे गोहेन हाल के वर्षों में असम इकाई के भीतर पुराने नेताओं और नए नेताओं के बीच आंतरिक दरार का सबसे प्रमुख चेहरा बनकर उभरे थे। यह दरार मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में उभरी थी। सरमा 2015 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हो गए थे। सरमा खेमे में जयंत मल्ला बरुआ, पीयूष हजारिका और अजंता नियोग जैसे कई नेता शामिल हैं, जो उनके मंत्रिमंडल का भी हिस्सा हैं।
गोहेन, जिन्होंने 1999 से 2019 तक नागांव का प्रतिनिधित्व किया और 2016 में अपने अंतिम सांसद कार्यकाल में मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाए गए। उन्हों संकेत दिया कि यही मतभेद उनके इस्तीफे का सबसे बड़ा कारण था। उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में नागांव से टिकट नहीं दिया गया और 2024 में भी उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। दोनों ही चुनावों में यह सीट कांग्रेस ने जीती थी।
अटल-आडवाणी और जोशी से प्रेरित होकर बीजेपी में आए थे- गोहेन
गोहेन ने कहा, “हम इस पार्टी में उन लोगों के लिए शामिल नहीं हुए जो वर्तमान में सत्ता में हैं। हम अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अन्य वरिष्ठ नेताओं से प्रेरित होकर आए थे। लेकिन (अब) स्थिति यह है कि दूसरी पार्टियों से लोगों को लाने के बाद, जिन वरिष्ठ लोगों ने अपने जीवन का सबसे कीमती वक्त भाजपा को दिया है, उन्हें दरकिनार कर दिया गया है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अब “असमिया लोगों की सबसे बड़ी दुश्मन” है। गोहेन अहोम समुदाय से हैं। उन्होंने दावा किया कि 2023 में हुए परिसीमन के बाद अहोम जैसे “स्वदेशी” समुदायों का प्रभाव कम हो गया है।
गोहेन ने कहा, “असम विधानसभा में लगभग 30-40 सीटें कभी अहोम समुदाय द्वारा तय की जाती थीं। लेकिन आज, ऐसा कोई निर्वाचन क्षेत्र नहीं है जहां से वे टिकट का अधिकार मांग सकें। पूरा समुदाय बिखर गया है। उनका जो राजनीतिक प्रभाव होना चाहिए था, वह नगण्य हो गया है… आज अशोक सिंघल (शर्मा मंत्रिमंडल में मंत्री) असम की किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि असमिया समुदाय के पास कहीं भी निर्णायक शक्ति नहीं है।”
दरअसल, 2023 में परिसीमन की प्रक्रिया के बीच में गोहेन ने अपने पूर्व लोकसभा क्षेत्र नागांव में हुए बदलावों के विरोध में असम खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष पद, जो कि कैबिनेट स्तर का पद है। उससे इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक मतदाताओं को शामिल करके इसकी जनसांख्यिकी बदल दी गई है, जिससे यह सीट “भविष्य में भाजपा उम्मीदवारों के लिए जीतना असंभव” हो गई है।
पिछले अगस्त में, एक अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता अशोक सरमा, हिमंत बिस्वा सरमा के प्रभुत्व वाली राज्य इकाई के साथ मतभेदों का हवाला देते हुए, भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
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भाजपा प्रवक्ता रंजीब कुमार सरमा ने गोहेन के इस्तीफे से छह महीने बाद होने वाले असम चुनावों पर पड़ने वाले प्रभाव को कमतर आंकते हुए कहा कि गोहेन के इस्तीफे से असम में लगभग छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों पर असर पड़ेगा। सरमा ने कहा, “इतने सालों तक जब वे नागांव से भाजपा सांसद थे, तब भी इस निर्वाचन क्षेत्र (इसमें आठ विधानसभा सीटें हैं) से कोई भाजपा विधायक नहीं था। हालाँकि, अब नागांव से इतने सारे भाजपा विधायक (आठ) हैं। इससे पता चलता है कि इसका (गोहेन का इस्तीफा) कोई खास असर नहीं होगा।” उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने गोसाईं को उनका हक दिया है।
उन्होंने कहा, “हाँ, वह लंबे समय तक पार्टी के साथ रहे, लेकिन पार्टी ने उन्हें पुरस्कृत भी किया। वह केंद्रीय राज्य मंत्री रहे हैं, राज्य सरकार में उन्हें कैबिनेट स्तर का पद मिला। उन्हें इससे ज़्यादा और क्या चाहिए? पार्टी सिर्फ़ एक व्यक्ति के लिए नहीं है।”
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